धर्मग्रंथों की जगह संविधान की शपथ अनिवार्य करें मोदी: शिवसेना
केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि वह धार्मिक किताबों की जगह संविधान की शपथ लेने को अनिवार्य बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएं।
मुंबई। केंद्र और महाराष्ट्र की सत्ता में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि वह धार्मिक किताबों की जगह संविधान की शपथ लेने को अनिवार्य बनाने के लिए जरूरी कदम उठाएं। उसका कहना है कि देश को धर्म पर आधारित राजनीति के शिकंजे से बाहर निकालने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
शिवसेना के अनुसार, 'ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे लोग अदालतों में धार्मिक किताबों की जगह संविधान की शपथ लें।'
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये केंद्र सरकार को उपरोक्त सलाह दी है।
ये भी पढ़ें- पाक पर शिवसेना का हमला, 'पाकिस्तानी उच्चायोग को ताला लगाकर चाबी फेंक देनी चाहिए'
सामना की संपादकीय में लिखा, 'संविधान सभी धर्मो के मानने वालों के लिए एक पवित्र ग्रंथ की तरह होना चाहिए। स्वर्गीय बाल ठाकरे ने भी कहा था कि कानून के समक्ष सभी धर्म बराबर हैं लेकिन संविधान कानून से भी ऊपर है।'
सामना के मुताबिक, मोदी ने कहा था कि डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान को हटाने के बारे में सोचना आत्महत्या करने जैसा होगा। अब उन्हें (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को) इस विचार को आगे बढ़ाकर देश की राजनीति को धर्म से मुक्त कराना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह डॉ. अंबेडकर के जन्म के 125वें वर्ष के मौके प्रधानमंत्री ने संसद में भाषण दिया था।
ये भी पढ़ें- धार्मिक ग्रंथों के बजाय संविधान की शपथ दिलानी चाहिएः शिवसेना
इस मौके पर उन्होंने संविधान का ड्रॉफ्ट तैयार किए जाने के दिन के तौर पर 26 नवंबर को ऐतिहासिक दिन बताया था। मोदी ने अपनी सरकार की संविधान के प्रति आस्था जताई थी और कहा था कि मेरी सरकार का पहला धर्म, इंडिया फर्स्ट और सरकार की पवित्र किताब, संविधान है।