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केदारनाथ टीम भेजने पर किच-किच, रावल को हटाने की मांग

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में रविवार को कनखल के शंकराचार्य आश्रम में हुई भारत साधु समाज की बैठक में केदारनाथ मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी )को हटाने और मंदिर समिति को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में परमार्थ आश्रम हरिद्वार के परमाध्यक्ष स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने यह प्रस्ताव रखा, जिसे

By Edited By: Published: Mon, 01 Jul 2013 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2013 09:23 AM (IST)

हरिद्वार, जागरण संवाददाता। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में रविवार को कनखल के शंकराचार्य आश्रम में हुई भारत साधु समाज की बैठक में केदारनाथ मंदिर के रावल (मुख्य पुजारी )को हटाने और मंदिर समिति को भंग करने का प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में परमार्थ आश्रम हरिद्वार के परमाध्यक्ष स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने यह प्रस्ताव रखा, जिसे संतों ने ध्वनि मत से पास कर दिया।

खुद बचे और दूसरों को बचाया

बैठक में कहा गया कि बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति का गठन ब्रिटिशकाल में हुआ था, जिसका संविधान वर्तमान समय के अनुकूल नहीं है। इसलिए इसे भंग कर इसका पुनर्गठन किया जाए और इसके अध्यक्ष पद पर किसी धर्माचार्य को काबिज किया जाए और संत इसका संचालन करें। भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी हरिनारायणानंद ने कहा कि केदारनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी बहुत पहले से ही नंबूदरी ब्राह्मण रहे हैं।

नासा ने 25 दिन पहले दे दिए थे तबाही के संकेत

इस परंपरा को कायम रखते हुए वर्तमान समय में अपनी कार्यशैली से चर्चा में आए लिंगायत संप्रदाय के रावल को हटाकर केदारनाथ मंदिर का संचालन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सौंपा जाए।

केदारनाथ टीम भेजने पर किच-किच:-

केदारनाथ में पूजा की तैयारियां मंदिर समिति अध्यक्ष और कर्मचारियों के बीच उलझकर रह गई हैं। कर्मचारियों ने हालातों का हवाला देकर केदारनाथ जाने से हाथ खींच लिए, जबकि समिति अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने फैसले पर पुनर्विचार के उनके आग्रह को भी ठुकरा दिया। साथ ही एलान किया कि कर्मचारियों के दल को मौसम साफ होते ही केदारनाथ भेजा जाएगा।

रविवार को दस सदस्यीय नया दल बना दिया गया है, जो कार्याधिकारी के नेतृत्व में रवाना होगा। 17 जून की त्रासदी के बाद से मंदिर में पूजा बंद है। फिलहाल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदारनाथ की पूजा कराई जा रही है। मंदिर अधिकारी भूपेंद्र मैठाणी और कर्मचारी राजकुमार नौटियाल का कहना है कि जब तक केदारनाथ में स्वास्थ्य, संचार और बिजली-पानी की व्यवस्था बहाल नहीं हो जाती, कर्मचारी वहां नहीं जाएंगे।

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