98 प्रकाश वर्ष दूर ग्रह से आया है संदेश
अभी वैज्ञानिक भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें खुश होना चाहिए या नहीं, इसलिए थोड़ा इंतजार करना ठीक रहेगा। फिर भी, सूचना जानने लायक है।
जेएनएन, नई दिल्ली: अभी वैज्ञानिक भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें खुश होना चाहिए या नहीं, इसलिए थोड़ा इंतजार करना ठीक रहेगा। फिर भी, सूचना जानने लायक है। रूस के सेति (सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरेस्टियल इंटेलिजेंस) इंस्टीट्यूट के अंतरिक्ष विज्ञानियों का कहना है कि उनके एक टेलीस्कोप को ऐसे रेडियो सिग्नल मिले हैं जैसे वे 98 प्रकाश वर्ष दूर के एक ग्रह से भेजे गए हैं। इस पर रिसर्च जारी है कि क्या सचमुच ऐसा है या यह भ्रम है।
रूस के जिस टेलीस्कोप ने यह सिग्नल पकड़ा है, उसका नाम रैटन 600 है। रैटन, मतलब रेडियो एस्ट्रोनॉमिकल टेलीस्कोप ऑफ द एकेडमी ऑफ साइंसेस। यह घूमता रहता है। इस टेलीस्कोप का व्यास 600 मीटर है और यह इस मामले में दुनिया में सबसे बड़ा है।
इसने पिछले साल 15 मई को चार सेकेंड का एक रेडियो सिग्नल पकड़ा। इस पर चल रहा रिसर्च यह संभावना जताता है कि यह 98 प्रकाश वर्ष दूर के एक ग्रह से आया हुआ हो सकता है। इस ग्रह को अभी नाम नहीं दिया गया है। इसे अंतरिक्ष विज्ञानी एचडी 164545 के रूप में जानते हैं।
कैसे चला पता
इस तरह के सिग्नल को लेकर सेति के वैज्ञानिकों ने अपनी तरफ से कभी खुलासा नहीं किया। अंतरिक्ष विज्ञान को लेकर नवीनतम सूचनाएं देने वाले 'सेंटॉरी ड्रीम्स' ने दो दिनों पहले इसका रहस्योद्घाटन किया। अब तक की जानकारी के अनुसार, इस तरह का सिग्नल दुबारा नहीं मिला है।
लेकिन वैज्ञानिक उस दिशा में टेलीस्कोप को रखकर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं कि उस तरफ से किस तरह के सिग्नल आते रहते हैं। इस पर एनएन बुरसोव के नेतृत्व वाली आठ सदस्यीय टीम काम कर रही है। अभी यह टीम भी एलियंस से संदेश जैसा कुछ दावा नहीं कर रही लेकिन अब तक की जानकारी के आधार पर 27 सितंबर को मैक्सिको में होने वाले 67वें अंतरिक्ष विज्ञान कांग्रेस में एक पेपर प्रस्तुत किया जाने वाला है।
कैसा है यह ग्रह
इस ग्रह के करीब 630 करोड़ साल पुराने होने का अनुमान है। यह लगभग अपने सूर्य की तरह का है। इसकी आकाशगंगा में कई ग्रहों को लेकर अभी हमें पूरी जानकारी हासिल नहीं हुई है और वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। इस पर काम कर रही टीम के सदस्य क्लॉडियो मैकॉन का कहना है कि इस संदेश को हमलोगों ने 'रोचक' पाया है और इसलिए इस पर काम कर रहे हैं।
लेकिन वैज्ञानिक नहीं हैं उत्साहित
सेति के वरिष्ठ वैज्ञानिक सेथ शोष्टक का भी कहना है कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता और यह भी संभव है कि धरती से भेजा गया सिग्नल ही लौटकर आया हो। मेलबार्न विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष भौतिकविद् केटी मैक इस राय हैं कि हजारों चीजें ऐसी हैं जिनसे इस तरह के संदेश आ सकते हैं और जिन्हें रेडियो टेलीस्कोप पकड़ सकता है।
पढ़ें- भारत में परमाणु रिएक्टरों की स्थापना में सहयोग करना चाहता है यूएस: जॉन कैरी
पढ़ें- भारत-अमेरिका के बीच 'LEMOA' से उड़ी चीन-पाक की नींद, जानें 10 खास बातें