शोभा डे को सुप्रीम कोर्ट से राहत
सुप्रीम कोर्ट ने प्रख्यात लेखिका शोभा डे के खिलाफ जारी महाराष्ट्र विधानसभा के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने शोभा डे की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष के सचिवालय को नोटिस भी जारी किया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति पीसी पंत की
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने प्रख्यात लेखिका शोभा डे के खिलाफ जारी महाराष्ट्र विधानसभा के विशेषाधिकार हनन नोटिस पर फिलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने शोभा डे की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष के सचिवालय को नोटिस भी जारी किया है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने मंगलवार को शोभा डे के वकील सीए सुंदरम की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर प्रतिपक्षियों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने प्रतिपक्षियों को आठ सप्ताह में जवाब देने को कहा है। सुंदरम ने विशेषाधिकार हनन नोटिस जारी किए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला विशेषाधिकार हनन का है ही नहीं। डे ने तो प्राइम टाइम के दौरान सिनेमाघरों में मराठी फिल्में दिखाये जाने के बारे में ट्विटर पर अपना विचार प्रकट किया। भारत का नागरिक होने की हैसियत से उन्हें अपने विचार प्रकट करने का अधिकार है। सुंदरम ने कहा कि ट्विटर पर की गई टिप्पणी का दूर-दूर तक सदन के विशेषाधिकार हनन से लेना-देना नहीं है। अगर ट्वीट को विपरीत अर्थों में भी देखा जाए तो वह सरकार पर टिप्पणी लगती है। उनकी टिप्पणी किसी भी तरह से सदन के कामकाज या कार्यवाही को प्रभावित करती नहीं दिखती।
क्या है मामला
महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की थी कि प्राइम टाइम पर सिनेमाघरों में मराठी फिल्में दिखाई जाएंगी। राज्य सरकार के इस एलान की शोभा डे ने ट्विटर पर आलोचना की थी। इस फैसले को दादागिरी बताते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस पर तंज कसा था। डे ने यह भी कहा था कि मल्टीप्लैक्स में पापकार्न की जगह दही मीसल और बड़ापाव मिला करेगा। इस ट्वीट को लेकर शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक विधानसभा में डे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाए थे। इसमें कहा गया था कि डे ने मराठी भाषा और मराठी जनता का अपमान किया है। इस पर नोटिस जारी हुआ था। अब लेखिका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सदन के विशेषाधिकार हनन नोटिस को चुनौती दी है।