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हाईवे पर शराब की दुकानों के भविष्य पर फैसला कल

कई राज्यों और शराब विक्रेताओँ ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से आदेश लागू करने की समय सीमा बढ़ाने और आदेश में संशोधन करने की मांग की है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 09:30 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 09:56 PM (IST)
हाईवे पर शराब की दुकानों के भविष्य पर फैसला कल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो पर शराब की दुकानों के भविष्य का फैसला शुक्रवार को हो जाएगा। शराब की दुकानें राजमार्गो से 500 मीटर की दूरी तक हटा दी जाएगीं या उन्हें कुछ राहत मिल जाएगी। सुप्रीमकोर्ट ने इस मसले पर सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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कोर्ट शुक्रवार को राज्य सरकारों और शराब विक्रेताओँ की अर्जियों पर अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीमकोर्ट के 15 दिसंबर के आदेश के मुताबिक 31 मार्च के बाद राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो पर 500 मीटर की दूरी तक शराब की दुकाने नहीं रहेंगी। कई राज्यों और शराब विक्रेताओँ ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से आदेश लागू करने की समय सीमा बढ़ाने और आदेश में संशोधन करने की मांग की है।

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होटल और रेस्टोरेंट मालिक भी सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैं उनका कहना है कि कोर्ट के इस आदेश की आड़ में सरकारें उनके लाइसेंस भी नवीकरण करने से मना कर सकती हैं ऐसे में कोर्ट अपना आदेश स्पष्ट करे। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने करीब पौने दो घंटे तक सभी पक्षों की दलीलें सुनीं। राज्य सरकारों का कहना था कि सभी राज्यों के लिए एक समान आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि हर राज्य की भौगोलिक स्थिति भिन्न होती है। पहाड़ी राज्यों हिमाचल, अरुणाचल, मेघालय और सिक्किम भी कोर्ट में याचक की मुद्रा में खड़े थे। उनका कहना था कि पहाड़ी क्षेत्रों में हाई वे से शराब की दुकाने 500 मीटर दूर करने का मतलब है कि दुकाने बिल्कुल बाहर हो जाएंगे।

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राज्यों का ये भी कहना था कि कई जगह बस्तियां हाईवे से लगी हुई होती हैं ऐसे मे 500 मीटर की दूरी का मतलब है कि दुकाने बस्ती के बाहर हो जाना। होटल और रेस्टोरेंट मालिकों की ओर से दलील दी गई थी कि दिल्ली का होटल ताज, मौर्या व अन्य बड़े छोटे होटल और रेस्टोरेन्ट भी इसकी चपेट में आ रहे हैं क्योंकि शराब की बिक्री पर रोक के चलते सरकारें उनके लाइसेंस रिन्यू करने से मना कर सकती हैं।


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