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निर्दलीय उम्मीदवारों के मामले में सरकार,चुनाव आयोग को नोटिस

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता व अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों के भाग लेने पर रोक लगाई जाए।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 07:45 PM (IST)
निर्दलीय उम्मीदवारों के मामले में सरकार,चुनाव आयोग को नोटिस

नई दिल्ली, प्रेट्र: निर्दलीय उम्मीदवारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार, चुनाव आयोग को नोटिस दिया है। दोनों को हिदायत दी गई है कि चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करें। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड व एएम खानविलकर की बेंच ने फैसला किया।

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दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता व अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दायर करके सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों के भाग लेने पर रोक लगाई जाए। उनका कहना है कि ये लोग केवल लोकतंत्र का मजाक बनाते हैं। इनकी वजह से कई बार सरकार का स्थायित्व संकट में पड़ता है। याचिका में रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट (आरपी) की धारा 33(7) को अवैध घोषित करने की मांग की। इसके जरिये एक व्यक्ति को आम चुनाव, उप चुनाव व दो क्षेत्रों से चुनाव लड़ने का अधिकार मिलता है। उनका कहना है कि जब एक उम्मीदवार दो सीटों से चुनाव लड़ता है तो साफ है कि जीतने की स्थिति में वह एक सीट को खाली करेगा और वहां पर उप चुनाव कराना होगा।

याचिकाकर्ता ने कहा कि ये चीज वोटरों के लिए भी अन्याय है, जिन्होंने सोच समझकर अपने प्रतिनिधि का चयन किया था। उपाध्याय का कहना है कि जुलाई 2004 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ने तब के प्रधानमंत्री से मांग की कि आरपी एक्ट में संशोधन किया जाए। आयुक्त ने यह भी कहा था कि एक्ट को बनाए रखा जाता है तो इसमें यह प्रावधान किया जाना चाहिए कि कोई उम्मीदवार दो जगह से चुनाव लड़ता है तो जीतने की स्थिति में वह जिस सीट को छोड़ता है वहां के उप चुनाव का सारा खर्च उसे उठाना होगा। जनहित याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने अभी तक इसका संज्ञान नहीं लिया है, लिहाजा सुप्रीम कोर्ट फैसला करे जिससे नई व्यवस्था बन सके।


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