सावन का पहला सोमवार: सोम सिद्घि प्रीति योग में बरसेगी शिव कृपा
श्रावण मास में सोमवार का विशेष महत्व है। चालीसा नहीं करने वाले भक्त भी इस दिन जरूर बाबा का उपवास और पूजन करते हैं। मान्यता है इससे चालीसा करने वालों भक्तों के समान ही बाबा की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में पहले सोमवार को पड़ने वाला योग शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी होगा। इसमें पूजन करने वाल
अविनाश चौबे, बरेली। श्रावण मास में सोमवार का विशेष महत्व है। चालीसा नहीं करने वाले भक्त भी इस दिन जरूर बाबा का उपवास और पूजन करते हैं। मान्यता है इससे चालीसा करने वालों भक्तों के समान ही बाबा की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में पहले सोमवार को पड़ने वाला योग शिव भक्तों के लिए विशेष फलदायी होगा। इसमें पूजन करने वाले भक्तों पर शिव कृपा बरसेगी।
बद्रीश आश्रम के आचार्य राजेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि इस बार पहले सोमवार को सोम सिद्धि प्रीति योग है, जो कि 37 वर्ष बाद पड़ रहा है। इसमें भगवान शिव का पूजन करने से उनका आशीर्वाद के साथ ही प्रेम भी भोले के भक्तों को प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि सोम सिद्धि प्रीति योग सोमवार को सुबह 8.07 बजे से पूर्वाह्न 11.35 बजे तक चलेगा। इस दौरान विधि विधान से शिव पूजन करने वालों पर भोले की विशेष कृपा होगी।
पहले सोमवार को शाम तक किसी भी समय भद्रा नक्षत्र नहीं है, इसलिए पूरे दिन भक्तों को शिव की उपासना का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि पहले सोमवार को भगवान शिव के चंद्रमौलि स्वरूप का पूजन करें। इसके लिए भगवान शिव का गणों के साथ पूजन करें। इससे परिवार में क्लेश समाप्त होंगे और खुशहाली आएगी।
विशेष मुहूर्त:- सुबह नौ से दस बजे तक।
गणेश पूजन बाद करें गण उपासना
शिवालय में सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर लें। उन्हें जल से पवित्र कर तीन बार आचमन करें। फिर लाल पुष्प और दूर्वा लेकर गणेश पूजन ऊ गं गणपते नम: मंत्र से करें। फिर भगवान शिव के गण अर्थात शिव परिवार [नंदी, कार्तिकेय, गौरी, गणेश, नागराज, वीरभद्र, कीर्तिमुख, कुबेर महाराज] का पूजन करें। फिर शांत भाव से कंठ में रूद्राक्ष धारण करें। भस्म या मिट्टी का टीका लगाएं। बिल्व पत्र हाथ में लेकर भोले बाबा का ध्यान करें।
जल से सर्वाग स्नान बाद करें अभिषेक
पाध्य, अर्घ्य आचमन कर एक लोटा जल से शिवलिंग को सर्वाग जल स्नान कराएं। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, बूरा से अभिषेक करें। इसके बाद गुलाब जल, केवड़ा जल से स्नान कराएं। अंत में ऊं शिवाय नम: कहते हुए जल धारा दें। यह अपनी इच्छानुसार एक, 11 या फिर 108 लोटे। एक वस्त्र या पुष्प से शिवलिंग को अच्छे से पोंछ दें। वस्त्र, जनेऊ चढ़ा तिलक लगाएं। आठ बिल्व पत्र भगवान को अर्पण करें। फिर नैवेद्यी [चढ़ाई हुई पूजन सामग्री] को हटा दें। इसके बाद अष्टोत्तर पूजन 108 बार श्वेत चावल और चंदन से करें। अंत में आरती कर बाबा को खीर का भोग लगाएं।
पूजन सामग्री
रोली, चंदन, साठी के चावल, अंकुरित जौ, सफेद और काले तिल, दूर्वा, बिल्व पत्र, शमी पत्र, अर्क पत्र, तुलसी
अभिषेक हेतु सामग्री
दूध, दही, घी, शहद, बूरा।
विशेष सामग्री
भांग के पत्ते, धतूरा, जायफल, कंकोल, सफेद वस्त्र सवा मीटर, एक धोती, जनेऊ, कलावा।
श्रंगार सामग्री
अष्टगंध, लाल चंदन, भस्म या फिर धूप आदि की भस्म।
भोग सामग्री
खीर या साबूदाने की खीर, पांच प्रकार के फल शरीफा, अमरूद, केला, सेब, अनानास।