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तेलंगाना पर संसद की मुहर

राज्यसभा में गुरुवार को हंगामे, हाथापाई, धक्कामुक्की और कागजों के फाड़े जाने की घटनाओं से मर्यादा तार-तार होती दिखाई दी। हालांकि तेलंगाना बिल पारित हो गया। अब अलग राज्य के गठन का विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा।

By Edited By: Published: Thu, 20 Feb 2014 04:46 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2014 11:04 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राज्यसभा में गुरुवार को हंगामे, हाथापाई, धक्कामुक्की और कागजों के फाड़े जाने की घटनाओं से मर्यादा तार-तार होती दिखाई दी। हालांकि तेलंगाना बिल पारित हो गया। अब अलग राज्य के गठन का विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि आम चुनाव से पहले 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना अस्तित्व में आ जाएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमांध्र को अगले पांच साल के लिए विशेष दर्जा देकर केंद्रीय मदद देने का भरोसा दिया है।

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राज्यसभा का कक्ष गुरुवार को पूरे दिन किसी अखाड़े का नजारा पेश करता रहा। तेलंगाना का विरोध कर रहे सदस्य ना सिर्फ लगातार नारेबाजी करते रहे, बल्कि कई मौकों पर उन्होंने धक्कामुक्की और सदन के जरूरी कागज फाड़ने की कोशिश भी की। आलम यह था कि पीएम जब सदन को संबोधित कर रहे थे, तो उनके नजदीक भी कागज के गोले फेंके गए। सदन के अंदर बैनर और काला झंडा दिखाते व अन्य कागजों को फाड़कर उछालते ये सदस्य लगातार सदन की गरिमा गिराते रहे। लेकिन इन सब के बीच आखिरकार संप्रग सरकार मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को साथ मिलाकर विधेयक को पारित कराने में कामयाब रही। हालांकि, इसके लिए सरकार को काफी पापड़ बेलने पड़े। लगभग नौ घंटों की जद्दोजहद के बाद आंध्रप्रदेश पुनर्गठन विधेयक देर रात ध्वनिमत से पारित हो सका।

जश्न में डूबा तेलंगाना

बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि तेलंगाना के अलग होने के बाद के आंध्र प्रदेश को अगले पांच साल तक विशेष दर्जा देकर केंद्रीय सहायता दी जाएगी। इसके अलावा केंद्र सरकार दोनों ही राज्यों के आर्थिक और औद्योगिक विकास के लिए कर छूट सहित विभिन्न उपाय करेगी। बिल में सीमांध्र के पिछड़े इलाकों के लिए विशेष विकास पैकेज भी शामिल किया गया है। इसी तरह पोल्लावरम परियोजना के तहत लोगों के पुनर्वास के लिए जिस मदद की जरूरत होगी, वह उपलब्ध करवाई जाएगी। इससे पहले गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी भरोसा दिलाया कि राज्य का बंटवारा किसी एक हिस्से के लोगों की कीमत पर नहीं किया जा रहा। बसपा प्रमुख मायावती ने जहां छोटे राज्यों की वकालत करते हुए इस बिल का समर्थन किया, वहीं सपा की ओर से रामगोपाल यादव ने इस बिल को लोकतंत्र विरोधी बताया।

किरकिरी करा गए चिरंजीवी

गृह मंत्री की ओर से पेश किए गए इस बिल पर चर्चा के दौरान सरकार को कई बार शर्मिदगी उठानी पड़ी। सीमांध्र के कांग्रेसी सांसद तो इसका विरोध कर ही रहे थे, केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री चिरंजीवी ने भी इसका विरोध किया। उन्होंने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार ने बिना राज्य के लोगों से विचार-विमर्श किए यह बिल पेश कर दिया है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सदन में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस पर सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सवाल उठाया कि क्या केंद्रीय मंत्रिपरिषद का सदस्य अपनी ही सरकार के किसी बिल पर सदन के अंदर विरोध कर सकता है।


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