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गंगा की जलधारा अपने मूल स्थान से बायीं ओर 50 मीटर खिसकी

गाय के मुख की आकृति वाले हिस्से के सामने पत्थर व कंकरीट के ढेर लगे थे। वैज्ञानिक इसके कारणों की जांच में जुट गए हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययन जारी है। विस्तृत रिपोर्ट अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दी जाएगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2015 09:43 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2015 09:53 AM (IST)

उत्तरकाशी,शैलेंद्र गोदियाल। गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से निकलने वाली भागीरथी की जलधारा अपने मूल स्थान से बायीं ओर पचास मीटर खिसक गई है। 2000 से गंगोत्री ग्लेश्यिर के अध्ययन में जुटी कुमाऊं के अल्मोडा जिले के कोसी स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एंव विकास संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने यह खुलासा किया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका मुख्य कारण चतुरंगी और रक्तवर्ण ग्लेश्यिर का गंगोत्री ग्लेश्यिर पर बढ़ता दबाव है।

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वैज्ञानिकों के अनुसार 28 किलोमीटर लंबा और दो से चार किलोमीटर चौड़ा गंगोत्री ग्लेशियर तीन अन्य ग्लेशियर से घिरा है। इसके दायीं तरफ कीर्ति और बायीं तरफ चुतरंगी व रक्तवर्ण ग्लेशियर हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन दल में शामिल डॉ.कीर्ति कुमार ने बताया कि वर्ष 2014 में यह महत्वपूर्ण बदलाव देखा था। उन्होंने बताया कि दल हर वर्ष अप्रैल से नवंबर तक ग्लेशियर का अध्ययन कर रहे हैं। इस बार जब अप्रैल में टीम गोमुख पहुंची तो जलधारा मूल स्थान से काफी यादा खिसक चुकी थी।

गाय के मुख की आकृति वाले हिस्से के सामने पत्थर व कंकरीट के ढेर लगे थे। वैज्ञानिक इसके कारणों की जांच में जुट गए हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययन जारी है। विस्तृत रिपोर्ट अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दी जाएगी। डॉ.कीर्ति कुमार ने कहा, हालांकि ग्लेशियरों में परिवर्तन एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन यह बदलाव महत्वपूर्ण है।

वहीं, वाडिया हिमालय भू वैज्ञानिक संस्थान के हिमनद विशेषज्ञ डॉ.डीपी डोभाल ने भी इसे सामान्य प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा,ग्लेशियर में विभिन्न कारणों से इस तरह के बदलाव आते रहते हैं। ऐसा नहीं है कि जलधारा पूरी तरह से परिवर्तित हो गई है, अभी भी कुछ पानी मूल स्थान से निकल रहा है।


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