यहां पढ़ें- भारत के साथ संबंधों को लेकर पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ने अपने संपादकीय में क्या लिखा
भारत और पाकिस्तान के बीच यदि संबंध बेहतर होते हैं तो ये दक्षिण एशिया में तरक्की की राह खोलेंगे। इसका फायदा ऐसे लाखों लोगों को होगा जो गरीबी के नीचे मुश्किल से जीवन यापन करते हैं। इसलिए आगे बढ़ने में ही फायदा है।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत को लेकर बीते दो दिनों से पाकिस्तान के सुर काफी बदले हुए हैं। खासतौर पर इस्लामाबाद सिक्योरिटी डॉयलॉग में तो ये काफी अलग ही दिखाई दिए हैं। इसकी शुरुआत करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि संबंधों को सुधारने के लिए पहले भारत को कदम आगे बढ़ाना होगा। हालांकि, इससे पहले वो हर बार यही कहते सुने गए थे कि भारत यदि दोस्ती के लिए एक कदम आगे बढ़ाएगा तो पाकिस्तान दो कदम चलेगा। वहीं पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान को पूर्व में क्या हुआ इन सबको भुलाकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि कश्मीर दोनों देशों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है लेकिन दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत कर उन्हें सुलझाना चाहिए।
गुरुवार को हुए इस सिक्योरिटी डॉयलॉग पर पाकिस्तान के प्रमुख अखबार द डॉन ने शुक्रवार को एक संपादकीय लिखा है। इसमें कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में हमेशा से ही उतार-चढ़ाव का दौर आता रहा है। काफी लंबे समय से तनावपूर्ण रहे रिश्तों में पिछले माह डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन के बीच हुई बातचीत से दोनों देशों के बीच जमीं बर्फ कुछ पिघलती दिखाई दे रही है। इसमें ये भी लिखा गया है कि 2019 में बालाकोट में जो कुछ हुआ वो बेहद अप्रत्याशित सा था। लेकिन अब माहौल में आई गरमी में बातचीत का सिलसिला दोबारा शुरू हो सकता है, भले ही ये पिछले दरवाजे से ही हो।
इसमें इमरान खान का जिक्र करते हुए कहा गया है कि भारत को क्षेत्र की बड़ी शक्ति होने के नाते बातचीत की शुरुआत करनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि दक्षिण एशिया में लाखों लोग भुखमरी का शिकार हैं। ऐसे में यदि दोनों देशों के बीच बातचीत होती है और संबंधों में नई ताजगी आती है तो ये ऐसे गरीब लोगों के लिए भी अच्छा होगा और दूसरों के लिए भी अच्छा होगा। संपादकीय में कहा गया है कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल कमर बाजवा ने इस बात को प्वाइंटआउट किया है कि दोनों देश हथियारों पर जितना खर्च करते हैं वो दोनों देशों के लोगों के विकास पर होने वाले खर्च से ही निकलता है।
इस संपादकीय में इस्लामाबाद सिक्योरिटी डॉयलॉग में उठी आवाजों को दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार का एक अच्छा संकेत माना गया है। हालांकि इसमें ये भी कहा गया है कि इसपर अभी ज्यादा उत्साह दिखाना या खुशी मनाना जल्दबाजी होगी। दोनों देश पहले भी एक समान मोड़ पर रहे हैं, जहां बातचीत एक उन्नत स्तर पर पहुंच गई थी और शांति आसन्न लग रही थी। लेकिन बातचीत बीच में टूट गई और सब खराब हो गया। इस संपादकीय में कहा गया है कि इस बार इस तरह की गलतियों से बचना होगा। साथ ही कहा गया है कि दोनों ही तरफ से बिना बहुत ज्यादा उम्मीद लगाए बातचीत के लिए आगे आना होगा।
इसमें कहा गया है कि संबंधों को बेहतर बनाने के लिए पहले लोगों का एक दूसरे से मिलन-जुलना हो, फिर सर क्रीक समेत दूसरे मुद्दों पर बातचीत होनी चाहिए। इसमें कश्मीर और आतंकवाद का भी मुद्दा आना चाहिए। दोनों में बेहतर रिश्तों की ही बदौलत दक्षिण एशिया तरक्की की राह पकड़ सकता है।