भावुक हुए रामनाथ कोविंद.. याद आई टपकती छत, गरीबी में गुजारे दिन
देश का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद रामनाथ कोविंद भावुक हो गए.. उन्होंने अपने बचपन के दिनों से देश को रूबरू कराया।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद रामनाथ कोविंद की आंखों में बचपन की तस्वीरें तैरने लगीं। गरीबी के वो दिन याद आ गए जब उन्हें और उनके भाई-बहन को बारिश के दिनों में सिर छिपाने के लिए जगह तलाशनी पड़ती थी। राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भावुक हुए रामनाथ कोविंद ने क्या-क्या कहा जानिए उन्हीं की जुबानी...
'आज दिल्ली में सुबह से बारिश हो रही है। बारिश का यह मौसम मुझे बचपन के उन दिनों की याद दिलाता है जब मैं अपने पैतृक गांव में रहा करता था। घर कच्चा था, मिट्टी की दीवारे थीं, तेज बारिश के समय फूस की बनी छत पानी रोक नहीं पाती थी। हम सब भाई-बहन कमरे की दीवार के सहारे खड़े होकर इंतजार करते थे कि बारिश कब समाप्त हो।'
'आज देश में ऐसे कितने ही रामनाथ कोविंद होंगे.. जो इस समय बारिश में भीग रहे होंगे.. कहीं खेती कर रहे होंगे.. कहीं मजदूरी कर रहे होंगे। शाम को भोजन मिल जाए इसके लिए पसीना बहा रहे होंगे। आज मुझे उनसे कहना है कि परौंख गांव का रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में उन्हीं का प्रतिनिधि बनकर जा रहा है।'
'मुझे यह जिम्मेदारी दिया जाना, देश के ऐसे हर व्यक्ति के लिए संदेश भी है जो ईमानदारी और प्रमाणिकता के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है। इस पद पर चुना जाना न कभी मैंने सोचा था और न कभी मेरा लक्ष्य था, लेकिन अपने समाज के लिए, अपने देश के लिए अथक सेवा भाव आज मुझे यहां तक ले आया है। यही सेवा भाव हमारे देश की परंपरा भी है।'
'जिस पद का मान डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी जैसे महान विद्वानों ने बढ़ाया है, उस पद के लिए मेरा चयन मेरी लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी का अहसास करा रहा है। व्यक्तिगत रूप से यह मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है।'
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