ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज की भरपाई की रेलवे ने वित्त मंत्रालय से लगाई गुहार
कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नोटबंदी के दौरान आनलाइन रेल टिकटों पर सर्विस चार्ज की वसूली रुकवा दी थी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे ने आनलाइन बुकिंग पर सर्विस चार्ज के खात्मे से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है। कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नोटबंदी के दौरान आनलाइन रेल टिकटों पर सर्विस चार्ज की वसूली रुकवा दी थी। बाद में बजट में इसे स्थायी कर दिया गया था।
आनलाइन ई-टिकटों पर सर्विस चार्ज की वसूली 23 नवंबर, 2016 को स्थगित हुई थी। जबकि 1 फरवरी, 2017 को पेश बजट में वित्तमंत्री वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस व्यवस्था को स्थायी करने का एलान किया था। बजट भाषण में उन्होंने कहा था, 'आइआरसीटीसी के मार्फत बुक कराए गए ई-टिकटों पर लगने वाला सर्विस चार्ज हटा लिया जाएगा। कैशलेस आरक्षण 58 फीसद से बढ़कर 68 फीसद हो गया है।'
इस तरह अब ई-टिकटों पर आनलाइन ट्रांजैक्शन चार्ज नहीं लगता। इससे ग्राहकों को तो लाभ हुआ है। परंतु रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नोटबंदी से पहले आनलाइन टिकटों पर स्लीपर क्लास के लिए प्रति टिकट 20 रुपये तथा वातानुकूलित दर्जो के लिए प्रति टिकट 40 रुपये सर्विस चार्ज वसूला जाता था। इससे रेलवे (आइआरसीटीसी) को हर महीने तकरीबन 45 करोड़ रुपये की कमाई होती थी। पिछले साल सर्विस चार्ज से रेलवे को 540 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। 23 नवंबर 2016 से यह कमाई बंद हो गई है। बजट में इसकी भरपाई का कोई उपाय नहीं किया गया है। लिहाजा रेलवे ने वित्त मंत्रालय से इसकी क्षतिपूर्ति करने का अनुरोध किया है।
इस संबंध में रेलवे बोर्ड की ओर से वित्त मंत्रालय को पहले भी एक पत्र लिखा जा चुका है। जबकि अब दुबारा इसकी याद दिलाई गई है। रेलवे बोर्ड के अधिकारी इस संबंध में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने की भी तैयारी कर रहे हैं।
आमदनी बढ़ाने के तमाम प्रयासों के बावजूद पिछले कई सालों से रेलवे को यात्री सेवाओं में नुकसान उठाना पड़ रहा है। वर्ष 2015-16 के दौरान रेलवे को यात्री सेवाओं में तकरीबन 35,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। इसमें से 1603 करोड़ रुपये का घाटा यात्रियों (बुजुर्ग, खिलाड़ी, विकलांग, पत्रकार, पदक विजेता आदि) को किराये में दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की रियायतों के परिणामस्वरूप हुआ था।
ऐसे में रेलवे किसी भी शुल्क में कटौती या समापन की स्थिति में नहीं है। यदि वित्त मंत्रालय की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली तो सर्विस चार्ज से होने वाले घाटे की भरपाई के इंतजाम रेलवे को खुद ही करने पड़ेंगे। ऐसी दशा में या तो वह अपनी जेब से आइआरसीटीसी को इस राशि का भुगतान करेगा। अथवा फिर आइआरसीटीसी को ही खुद इसकी भरपाई का इंतजाम करने के लिए कहेगा।
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