तपती दोपहरी में किसानों के लिए कई राज्यों की पदयात्रा करेंगे राहुल गांधी
चिंतन-मंथन के बाद तरोताजा होकर स्वदेश लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अब किसानों के मुद्दे पर अपने संग्राम का दूसरा चरण शुरू करेंगे। इस मुद्दे पर संसद और दिल्ली गरमाने के बाद अब वह तपती दोपहरी में संसद सत्र के दौरान ही देश के चार राज्यों में किसान यात्रा पर
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। चिंतन-मंथन के बाद तरोताजा होकर स्वदेश लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अब किसानों के मुद्दे पर अपने संग्राम का दूसरा चरण शुरू करेंगे। इस मुद्दे पर संसद और दिल्ली गरमाने के बाद अब वह तपती दोपहरी में संसद सत्र के दौरान ही देश के चार राज्यों में किसान यात्रा पर निकलने की तैयारी में हैं। किसान समस्याओं से प्रभावित चुने जा रहे सभी राज्यों में गैरकांग्रेसी सरकारें हैं।
सूत्रों के मुताबिक, पदयात्रा का प्रारूप लगभग तैयार है। यह इस संसद सत्र के दौरान ही अगले दस दिनों के भीतर शुरू हो सकती है। एक दो दिनों में पार्टी इसका एलान भी कर देगी। पहले रामलीला मैदान की किसान रैली और फिर संसद में उनके मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर धावा बोल चुके राहुल ने इसके लिए एक दीर्घकालीन रणनीति बनाई है।
पदयात्रा का गणित
मोदी सरकार के 11 महीने के कार्यकाल के आकलन के बाद राहुल समझ चुके हैं कि कांग्रेस संगठन में जान फूंकने के लिए सबसे प्रभावी बूटी किसानों की समस्याओं को बड़े पैमाने पर उठाकर सरकार को उनके समाधान के लिए मजबूर करना है। देश की दो तिहाई आबादी आज भी खेती पर निर्भर है और उसके मुद्दों को उठाकर वे अपनी पार्टी और संगठन में जान फूंकना चाहते हैं।
महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश भी यात्रा मार्ग में
यह पदयात्रा विदर्भ (महाराष्ट्र) से शुरू होकर तेलंगाना, उत्तर प्रदेश व राजस्थान से होते हुए देश के अन्य हिस्सों तक पहुंचेगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष तपती दोपहरी में 15 से 18 किलोमीटर तक पदयात्राएं करके किसानों की नब्ज टटोलेंगे। फिलहाल यात्रा के मार्ग को अंतिम रूप देने का काम जारी है। राहुल पहले उन हिस्सों में जाएंगे जहां किसानों की आत्महत्या से लेकर, भूमि अधिग्रहण, फसलों को समर्थन मूल्य न मिलने, कृषि उपज की बेकद्री समेत वे सभी मुद्दे हों, जिनको लेकर किसान असंतोष के चलते आपा खोते जा रहे हैं।
ये रहेंगे मुद्दे
राहुल की प्रस्तावित पदयात्रा में मोदी सरकार के विवादास्पद भूमि अधिग्रहण कानून से लेकर उनके उत्पादों के लाभकारी मूल्य दिलवाना, चुनाव अभियान के दौरान मोदी के स्वामीनाथन आयोग की रपट लागू करने के वायदे को पूरा करवाना, किसान आत्महत्या और आदिवासियों को उनके हक दिलवाकर उन्हें सशक्त करने जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
अब तक का ट्रैक रिकार्ड
राहुल की पदयात्राएं भट्ठा परसौल व नियामगिरी आंदोलनों का ही अगला चरण होगी, जिनके जरिये उन्होंने भूमि का उचित मुआवजा, आदिवासियों के अधिकार, मनरेगा, भोजन, शिक्षा व सूचना का अधिकार दिलाने की पहल की थी।
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