बदले हालात में रालोद की मुश्किलें कम न होंगी
चरण सिंह स्मारक निर्माण के मुद्दे पर मेरठ रैली में भीड़ जुटने और नए गठजोड़ की संभावना दिखने के बावजूद राष्ट्रीय लोकदल की मुश्किलें कम होती नहीं दिखती। सपा की ओर बढ़ा दोस्ती का हाथ रालोद के लिए नई चुनौती का सबब बनेगा। असल परेशानी किसानों के मसलों का समाधान न होने पर होगी। गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान नह
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। चरण सिंह स्मारक निर्माण के मुद्दे पर मेरठ रैली में भीड़ जुटने और नए गठजोड़ की संभावना दिखने के बावजूद राष्ट्रीय लोकदल की मुश्किलें कम होती नहीं दिखती। सपा की ओर बढ़ा दोस्ती का हाथ रालोद के लिए नई चुनौती का सबब बनेगा।
असल परेशानी किसानों के मसलों का समाधान न होने पर होगी। गन्ना मूल्य का बकाया भुगतान नहीं होना सरकार की बड़ी सिरदर्दी है। करीब 2830 करोड़ रुपये की देनदारी अभी मिलों पर अवशेष है। सपा से दोस्ती निभाने के फेर में रालोद खामोश रहा तो किसानों का गुस्सा झेलना होगा। बता दें कि सर्वाधिक बकाया रालोद के असर वाले क्षेत्रों की मिलों पर ही है। बागपत के किसान नेता नरेंद्र राणा का कहना है कि मेरठ रैली में किसानों के मुद्दों का समाधान होता तो स्व.चौधरी चरण सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होती। किसान संपन्न होगा तो एक नहीं कई स्मारक बनाने में समर्थ होगा। दूसरी ओर नया गन्ना समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए किसानों व मिल मालिकान में रस्साकसी जारी है। सपा सरकार पर गन्ना मूल्य बढ़ाने को भारी दबाव है। गत वर्ष भी गन्ने के दाम न बढ़ने से किसानों में भारी निराशा थी। इस बार गन्ना मूल्य नहीं बढ़ा तो सपा की किसान हितैषी छवि बिगड़ेगी। ऐसे में रालोद के लिए धर्मसंकट की स्थिति रहेगी क्योंकि दाम बढ़ाने को आंदोलन उग्र किया तो सपा से दूरियां बनने का डर रहेगा। बिजली दर बढ़ाने के खिलाफ रालोद का मौन भी किसानों का अखर रहा है जबकि गठबंधन में सहयोगी कांग्रेस ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन का ऐलान किया है। उधर रालोद के सपा प्रेम पर निगाह लगाए भाजपा किसान मोर्चा ने नए गठजोड़ की पोल खोल अभियान को तेज करने का फैसला लिया। सूत्रों का मानना है, रालोद ने सपा विरोधी तेवर में कमी की तो किसान वोट बैंक संभाले रखना मुश्किल होगा।
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