रेलवे के लिए दुधारु गाय बना आइआरसीटीसी
अंबाला [दीपक बहल]। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन [आइआरसीटीसी] रेलवे के लिए दुधारु गाय बन गई है। इसकी वेबसाइट से ई-टिकट बनता नहीं लेकिन मुसाफिर के बैंक खाते से रुपये ट्रांसफर हो जाते हैं। रिफंड लेने के लिए आइआरसीटीसी को सुबूत देना पड़ता है। अपना ही पैसा पाने में कई-कई दिन लग जाते हैं
अंबाला [दीपक बहल]। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन [आइआरसीटीसी] रेलवे के लिए दुधारु गाय बन गई है। इसकी वेबसाइट से ई-टिकट बनता नहीं लेकिन मुसाफिर के बैंक खाते से रुपये ट्रांसफर हो जाते हैं। रिफंड लेने के लिए आइआरसीटीसी को सुबूत देना पड़ता है। अपना ही पैसा पाने में कई-कई दिन लग जाते हैं। ऐसे मामले रोजाना प्रकाश में आते हैं, जिनके रुपये के ब्याज के जरिये रेलवे लाखों कमा रहा है।
आइआरसीटीसी की वेबसाइट पर प्रतिदिन करीब एक लाख यात्री टिकट बनवाते हैं। ई-टिकट बनाते वक्त अक्सर उनके बैंक खाते से रुपये कट जाते हैं, लेकिन टिकट बनता नहीं। ऐसे में दोबारा टिकट तभी बनेगा जब बैंक खाते में और रुपये होंगे। कई बार दो-दो बार पैसे कट जाते हैं लेकिन टिकट एक बार भी नहीं बनता। ऐसे में मुसाफिर यदि कस्टमर केयर से संपर्क करता है तो वहां यूजर आइडी पूछकर रुपये आइआरसीटीसी के खाते में न आने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है। जब पैसे कटने और ई-टिकट न बनने की बात कही जाती है तो यात्री को सुबूत सहित ई-मेल करने की नसीहत दी जाती है। यह भी कहा जाता है वे अपने बैंक खाते की स्टेटमेंट स्कैन कर आइआरसीटीसी में भेज दें।
यदि मुसाफिर अपने स्तर पर बैंक जाकर पता लगाता है तो उसे वहां आश्वासन दिया जाता है कि रिफंड अपने आप खाते में चला जाएगा। इसके लिए 11 दिन का समय दिया जाता है। इसके बाद भी पैसे न वापस होने पर फिर से शिकायत करने की सलाह दी जाती है। गत 24 जून को दरभंगा से आनंद विहार के लिए दो मुसाफिरों की ई टिकट के 2452 रुपये काट लिए गए लेकिन आज तक रिफंड नहीं हुआ। इसी प्रकार 20 जून को चंडीगढ़ से पानीपत तक का किराया 482 रुपये काट लिया, लेकिन टिकट नहीं बना और न ही पैसा मिला।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर