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तेलंगाना के गठन पर राष्ट्रपति की मुहर

संसद से पारित हो चुके आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुहर लगा कर देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन का रास्ता साफ कर दिया। मुखर्जी ने शनिवार को ही आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को भी अपनी मंजूरी दे दी। एक दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट ने आंध्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी

By Edited By: Published: Sat, 01 Mar 2014 09:00 PM (IST)Updated: Sun, 02 Mar 2014 09:16 AM (IST)

नई दिल्ली। संसद से पारित हो चुके आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मुहर लगा कर देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन का रास्ता साफ कर दिया। मुखर्जी ने शनिवार को ही आंध्र प्रदेश में राष्ट्रपति शासन को भी अपनी मंजूरी दे दी। एक दिन पहले केंद्रीय कैबिनेट ने आंध्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। हाल के दिनों में आंध्र ऐसा दूसरा राज्य बन गया है, जहां राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से अरविंद केजरीवाल के इस्तीफा देने बाद राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।

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सीमांध्र क्षेत्र से आने वाले सांसदों के कड़े विरोध के बावजूद 20 फरवरी को संसद से पारित हुए आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2014 पर राष्ट्रपति ने अपने दस्तखत कर दिए। आंध्र प्रदेश को विभाजित कर बनाए गए नए राज्य तेलंगाना में हैदराबाद समेत 10 जिले होंगे। सीमांध्र के हिस्से में 13 जिले आएंगे। लोकसभा से विधेयक पास होने के बाद रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद के साथ कांग्रेस की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। रेड्डी सीमांध्र क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं और वह राज्य के विभाजन का खुलकर विरोध कर रहे थे।

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रेड्डी के इस्तीफे के बाद राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन ने विधानसभा को निलंबित रखते हुए आंध्र में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। सीमांध्र क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को देखते हुए सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा देने का एलान कर चुकी है। राष्ट्रपति शासन के दौरान विधानसभा निलंबित रहेगी। आंध्र प्रदेश की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल दो जून को खत्म होने जा रहा है।


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