बजट में बिजली संकट दूर करने की हो सकती है घोषणा
दिल्ली में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए पिछले वर्ष जुलाई में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए आम बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसके बाद इस वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार ने दिल्ली में बिजली के ढांचागत विकास के लिए 7791 करोड़ रुपये
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। दिल्ली में बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए पिछले वर्ष जुलाई में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किए गए आम बजट में 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। इसके बाद इस वर्ष जनवरी में केंद्र सरकार ने दिल्ली में बिजली के ढांचागत विकास के लिए 7791 करोड़ रुपये का निवेश करने का एलान किया था। उम्मीद है कि आज पेश होने वाले आम बजट में इस प्रस्तावित निवेश के बारे में कोई घोषणा होगी, जिससे दिल्ली में बिजली की समस्या दूर हो सके।
दिल्ली में लगातार बढ़ रही आबादी के लिहाज से बिजली आपूर्ति के लिए ढांचागत विकास नहीं हुआ है। ट्रांसमिशन लाइनें व बिजली आपूर्ति नेटवर्क को सुधारने के लिए भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया जिससे बिजली की मांग बढ़ते ही समस्या शुरू हो जाती है। पिछले वर्ष मई में आई आंधी के कारण भी दिल्ली के लोगों को गंभीर बिजली संकट से जूझना पड़ा था। हालांकि, दिल्ली ट्रांस्को लिमिटेड (डीटीएल) का दावा है कि उसकी ट्रांसमिशन लाइनें आठ हजार मेगावाट तक का लोड झेल सकती हैं। जबकि बिजली विशेषज्ञ इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रखरखाव नहीं होने के कारण 5600 मेगावाट से ऊपर मांग पहुंचने पर परेशानी शुरू हो जाती है। मौसम में थोड़ी सी खराबी होने पर भी परेशानी शुरू हो जाती है। यदि शीघ्र ट्रांसमिशन लाइनों की दशा सुधारने की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले वर्षो में समस्या बढ़ सकती है।
भारी-भरकम निवेश की जरूरत
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बिजली नेटवर्क सुधारने के लिए 200 करोड़ रुपये की जो घोषणा की गई थी उससे बामनोली में ट्रांसफार्मर लगाने के साथ ही हर्ष विहार से पटपड़गंज तक 220 केवी की नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जा रही है। इसके साथ ही गीता कॉलोनी से वजीराबाद के बीच पुरानी बिजली लाइन को बदलकर एचपीएलएस (हाई टैंपरेचर लो शेड) लाइन डाली जा रही है।
इन तीनों काम पर कुल 230 करोड़ रुपये खर्च होंगे तथा शेष 30 करोड़ रुपये की राशि डीटीएल खर्च करेगी। इसके बावजूद दिल्लीवासियों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए भारी-भरकम निवेश की जरूरत है क्योंकि वर्ष 2017 तक यहां बिजली की मांग 7000 मेगावाट तक पहुंच सकती है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली में भारी भरकम निवेश की घोषणा की थी, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ है। इसलिए लोगों को उम्मीद है कि बजट में इस दिशा में कुछ कदम उठाए जाएंगे
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