Move to Jagran APP

लालू प्रसाद यादव के सियासी जीवन का सफर

चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिए गए लालू प्रसाद यादव तमाम विवाद और आरोप के बीच राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद इस देश का वो चेहरा भी हैं जो सालों पुरानी व्यवस्था को कुचलकर आगे बढ़ता है। जो हमारे देश के ताकतवर सिस्टम को आंखें दिखाकर आगे बढ़ा। गोपालगंज के बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए लालू सिर्फ अपने दम पर बिहार के मुख्यमंत्री बने और बाद में देश के रेलमंत्री भी बने।

By Edited By: Published: Tue, 01 Oct 2013 03:43 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2013 03:46 AM (IST)

नई दिल्ली। चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिए गए लालू प्रसाद यादव तमाम विवाद और आरोप के बीच राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद इस देश का वो चेहरा भी हैं जो सालों पुरानी व्यवस्था को कुचलकर आगे बढ़ता है। जो हमारे देश के ताकतवर सिस्टम को आंखें दिखाकर आगे बढ़ा। गोपालगंज के बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए लालू सिर्फ अपने दम पर बिहार के मुख्यमंत्री बने और बाद में देश के रेलमंत्री भी बने।

loksabha election banner

राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव राजनीति में एक ऐसा नाम जिसे कुछ सियासत का मसखरा कहते हैं। लेकिन बहुत बड़ा तबका ऐसा भी है जो उन्हें गरीबों का नेता मानता है। भोली सूरत, आंखों में दुश्मनों को धूल चटाने की जजबा, जुबान ऐसी कि विरोधी कि बोलती बंद हो जाए।

बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में 11 जून 1948 को पैदा हुए लालू ने राजनीति की शुरुआत पटना के बीएन कॉलेज से की थी। तब लालू 1970 में पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए थे। इसके बाद छात्र आंदोलन के दौरान लालू की सियासत में दिलचस्पी और बढ़ती गई। माहौल को भांपने में माहिर लालू ने राम मनोहर लोहिया और आपातकाल के नायक जय प्रकाश नारायण का समर्थक बनकर पिछड़ी जातियों में अपनी छवि बनानी शुरू कर दी। नतीजा ये कि महज 29 साल की उम्र में 1977 में वो पहली बार संसद पहुंच गए। अपनी जन सभाओं में लालू 1974 की संपूर्ण क्रांति का नारा दोहराते रहे। लोगों को सपने दिखाते रहे।

जनता की नब्ज पकड़ते हुए लालू ने 90 के दशक में मंडल कमीशन की लहर पर सवार होकर बिहार की सत्ता पर कब्जा कर लिया। बिहार में लालू यादव को जितना समर्थन मिला था शायद उतना समर्थन राजनीति में अभी तक किसी को नही मिला होगा ना मिलेगा। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि लालू को उस वक्त अति पिछड़े और बाकी लोगों का काफी वोट मिला था। लेकिन सत्ता में रहते हुए लालू अपने मकसद से भटक गए। पहले से ही पिछड़ा बिहार अब और बर्बाद होने लगा। घोटाले, अपराध लालू की सरकार का दूसरा नाम बन गए।

1997 में लालू यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा। साल 2000 में आय से ज्यादा संपत्ति का आरोप लगा। इन आरोपों के बीच जब लालू ने जेल जाते वक्त सत्ता राबड़ी को सौंपी तो भी कई सवाल उठे। लेकिन लालू ने कभी उसकी परवाह नहीं की। राज्य में विकास पर ब्रेक लगा और तरक्की सिर्फ लूट, हत्या के मामलों में अपहरण उद्योग की हुई। नतीजा ये कि 2005 में बिहार की जनता ने लालू को सत्ता से बाहर कर दिया। हालांकि इस बीच 2004 से 2009 तक लालू ने रेल मंत्रालय की कमान संभाली। विदेश तक में नाम कमाया। लेकिन अब उनका करिश्मा फीका पड़ता जा रहा है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.