बीएचयू को राजनीतिक अखाड़ा बनाने में सफल नहीं होगा विपक्ष
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद वाराणसी में थे तो दूसरे कार्यक्रम के मंच पर लेकिन निशाना बीएचयू ही रहा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बीएचयू में छात्रों के आक्रोश को भुनाने की कोशिश में जुटे राजनीतिक दलों और राजनीतिज्ञों का दांव उल्टा भी पड़ सकता है। वह शायद भूल रहे हैं कि यह आक्रोश शुद्ध रूप से कैंपस के अंदर प्रशासन और कुलपति के खिलाफ तक सीमित था। जिसे बातचीत के जरिए निपटाने की कोशिश भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में विश्वविद्यालय को राजनीतिक अखाड़ा उनके लिए मुश्किल है और अगर ऐसा किया भी तो अपना हाथ जलाने जैसा हो सकता है।
दो दिनों में बीएचयू के बाहर राजनीति भी गरमाई है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद वाराणसी में थे तो दूसरे कार्यक्रम के मंच पर लेकिन निशाना बीएचयू ही रहा। बताते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ भी वाराणसी पहुंच गई। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता भी राजनीति चमकाने पहुंच गए। बताते हैं कि कुछ दूसरे राजनीतिक दल भी केवल इस ताक में हैं कि मामला और भड़के तो वह भी पहुंचे और इसी बहाने भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा करें।
गौरतलब है कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में एक छात्र की मौत के बाद भी राजनीतिक दलों ने उसे अखाड़ा बना लिया था। यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुछ दिनों पहले बेंगलुरू में पत्रकार की हत्या के बाद कांग्रेस व वाम समेत कई दलों ने इसी सीधे तौर पर भाजपा सरकार के सिर मढ़ने की कोशिश की थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही त्रिपुरा में हुई पत्रकार की हत्या को लेकर विपक्षी दलों की उग्रता नहीं दिखी थी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने भी आगाह किया कि विश्वविद्यालय को राजनीति का मंच न बनाएं। उन्होंने चुनौती दी कि राजनीतिक लड़ाई लड़नी है तो उसका मंच खुला है और आमने सामने आकर दो दो हाथ कर लें। पांडे ने जानकारी दी कि कुलपति के साथ छात्रों की बातचीत हो चुकी है। ठोस पहल शुरू हो गया है और जल्द ही स्थिति सामान्य होगी।
यह भी पढ़ें: BHU पर पीएम मोदी और शाह ने सीएम योगी से ली रिपोर्ट