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हाथरस के नगला फटेला गांव पर फिदा हुए पीएम मोदी

इस गांव का उल्लेख कर बताया कि कैसे उनकी सरकार ने ऐसे ही दस हजार गांवों में बिजली पहुंचाई है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 15 Aug 2016 08:06 PM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2016 08:48 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठीक एक साल पहले जब लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया था तो अपनी सरकार के समक्ष अनूठा लक्ष्य रखा था। यह लक्ष्य था एक हजार दिनों के भीतर उन अठारह हजार गांवों तक बिजली पहुंचाना जहां आजादी के सात दशक बाद भी बिजली नहीं पहुंची है। सोमवार को 70वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में प्रगति का उदाहरण देने के लिए हाथरस जिले के गांव नगला फटेला को चुना। इस गांव का उल्लेख कर बताया कि कैसे उनकी सरकार ने ऐसे ही दस हजार गांवों में बिजली पहुंचाई है।

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प्रधानमंत्री ने कहा, 'आपको हैरानी होगी। दिल्ली से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर हाथरस इलाके में एक गांव नगला-फटेला है। नगला-फटेला तक पहुंचने में मात्र तीन घंटे लगते हैं लेकिन वहां बिजली पहुंचने में 70 साल लग गए।' बता दें कि हाल में बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने भी हाथरस के एक गांव में आजादी के सात दशक बाद पहली बार बिजली पहुंचने के बारे में ट्वीट किया था। हाथरस के सांसद राजेश दिवाकर ने कहा कि उन्होंने क्षेत्र में बिजली की समस्या को लेकर सरकार को पत्र लिखे थे। इसका नतीजा है कि कई गांवों में पहली बार रिकार्ड समय में बिजली पहुंची है। उन्होंने कहा कि जिले का एक अन्य गांव आनन्दपुर है जहां रिकार्ड पांच दिन में बिजली पहुंचाई गई।

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उधर, प्रधानमंत्री ने जैसे ही नगला फटेला का नाम लिया, स्थानीय अधिकारियों का गांव मंे जमावड़ा लगना शुरू हो गया। हाथरस जिले में सासनी कस्बे से करीब चार किलोमीटर दूर इस गांव के निवासी दलवीर सिंह कुशवाह ने फोन पर बताया कि यह गौरव की बात है कि प्रधानमंत्री ने उनके गांव का नाम लिया। उन्होंने बताया कि छह-सात महीने पहले ही उनके गांव में बिजली लाइनें बिछाई गई हैं।

इससे पहले गांव में बिजली की लाइनें ही नहीं थीं, सिर्फ ट्यूबवेल के लिए बिजली आपूर्ति की व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि अब गांव में सड़क की समस्या है, अगर वह दुरुस्त हो जाए तो लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। सासनी में शिक्षक नीरज रावत ने कहा कि गांव में बिजली आने से विद्यार्थियों को पढ़ने में सुविधा होगी। साथ ही गांववासियों को भी सहूलियत मिलेगी।

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