संवेदनशील सरकारी दस्तावेजों के आधार पर दाखिल हो रही हैं जनहित याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल व यूयू ललित की बेंच ने सरकार को आश्वस्त किया कि शिकायत पर समाधान निकालेंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि कई मामलों में जनहित याचिकाएं दायर करने के लिए जिन दस्तावेजों का सहारा लिया जा रहा है वह काफी संवेदनशील हैं। इनमें काफी सारे कागजात तो जांच एजेंसियों व कैबिनेट की बैठक से जुड़े हैं। इन्हें आरटीआइ के दायरे से भी बाहर रखा गया है। जाहिर है कि किसी सरकारी कर्मी को प्रलोभन देकर यह दस्तावेज हासिल किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल व यूयू ललित की बेंच ने सरकार को आश्वस्त किया कि शिकायत पर समाधान निकालेंगे।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि जनहित याचिका दायर करने के लिए कई ऐसे दस्तावेज भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिनमें किसी अधिकारी ने टिप्पणी दर्ज कर रखी हैं। जाहिर है कि यह दस्तावेज किसी कर्मी के जरिये जुटाए होंगे। उन्होंने यह बात तब कही जब अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉफ्टर घोटाले के मामले में सुनवाई चल रही थी। अधिवक्ता प्रशांत भूषण इस मामले में पैरवी कर रहे थे। यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार से जुड़ा है।
वीआइपी इस्तेमाल के लिए ये हेलीकॉफ्टर खरीदे जाने थे। इसमें मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे का विदेशी बैंक खाते का मसला भी शामिल है। बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार से कहा कि वह 2006-07 में हुए राज्य कैबिनेट के निर्णय से जुड़ी मूल फाइलें अदालत में पेश करे। वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में जो याचिका दायर की गई है, उसके साथ लगे दस्तावेजों में कुछ ऐसे कागजात भी हैं, जिनमें टिप्पणियां की गई हैं। सीबीआइ, ईडी की जांच से जुड़े दस्तावेज भी इसमें लगाए गए हैं। प्रशांत भूषण से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि इनमें से कुछ दस्तावेज आरटीआइ के जरिये हासिल किए गए हैं। बेंच ने उन्हें कहा कि वह आरटीआइ से मिले दस्तावेजों को एक बार देखना चाहेगी। वेणुगोपाल ने जिरह के दौरान सीबीआइ के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के घर पर लगाए गए एंट्री रजिस्टर का भी हवाला दिया।
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