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जेपी 10 फ्लैट खरीददारों को देगा 50 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा

कोर्ट ने कहा फ्लैट खरीददारों को आम निवेशक नहीं माना जा सकता उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई घर खरीदने में लगाई है..

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 13 Sep 2017 09:57 PM (IST)Updated: Wed, 13 Sep 2017 09:57 PM (IST)
जेपी 10 फ्लैट खरीददारों को देगा 50 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा
जेपी 10 फ्लैट खरीददारों को देगा 50 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्लैट खरीददारों की परेशानियों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बिल्डर उन्हें हल्के में नहीं ले सकता। वे आम निवेशक नहीं हैं। उन्होंने अपनी गाढ़ी कमाई घर खरीदने में लगाई है। कोर्ट ने फ्लैट खरीददारों से सहानुभूति जताते हुए जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को निर्देश दिया है कि वह अपने कलेप्सो कोर्ट प्रोजेक्ट के 10 खरीददारों को पांच पांच लाख रुपये यानि कुल 50 लाख रुपये देरी से फ्लैट देने के अंतरिम मुआवजे के तौर पर दे।

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ये आदेश मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने नेशनल कंस्यूमर कमीशन के आदेश को चुनौती देने वाली जय प्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। कंपनी ने आयोग के 2 मई 2016 के आदेश को चुनौती दी है जिसमें आयोग ने फ्लैट देने में देरी पर 12 फीसद की दर से पेनाल्टी देने का आदेश दिया था।

इस मामले में गत वर्ष 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को 4 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था और कहा था कि ब्याज अदा करने के पहलू पर बाद में विचार किया जाएगा। कोर्ट के आदेश पर कंपनी ने 4 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराए थे जो कि कोर्ट के निर्देश पर यूको बैंक में कम अवधि के फिक्स डिपाजिट में जमा हैं। इसके बाद 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया था कि वह कोर्ट पहंुचे दस फ्लैट खरीददारों को फ्लैट दे। कोर्ट के 31 अगस्त के आदेश का पालन करते हुए कंपनी ने खरीददारों को फ्लैट दे दिये थे। अब कोर्ट के सामने मुख्यता देरी से फ्लैट देने के लिए ब्याज, पार्किग फीस, और बढ़े हुए सुपर एरिया के पैसे के निर्धारण का मामला लंबित है।

ये मामला जेपी के नोएडा ग्रेटरनोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थिति कलेप्सो कोर्ट प्रोजेक्ट का है। 2007 में लांच हुए इस प्रोजेक्ट में कुल 16 टावर बनने थे और प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वालों को 2011 में कब्जा मिल जाना चाहिए था लेकिन 2016 तक इस प्रोजेक्ट में सिर्फ पांच टावरों का ही काम पूरा हो पाया था ज्यादातर टावर अभी भी अधूरे पड़े हैं। फ्लैट खरीददारों को जब कब्जा नहीं मिला तो उन्होंने नेशनल कंज्यूमर कमीशन में याचिका डाली थी जिस पर आयोग ने कंपनी को आदेश दिया था कि वह देरी से फ्लैट देने पर 12 फीसद की दर से पेनाल्टी अदा करे।

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