Move to Jagran APP

पटना ब्लास्ट : फर्जी निकली फरार आतंकी की गिरफ्तारी

पटना धमाकों की जांच कर रही एनआइए की गिरफ्त से फरार कथित आतंकी की गिरफ्तारी की झूठी खबर उड़ाई गई थी। हकीकत यही है कि मुजफ्फरपुर से पिछले बुधवार को फरार महर आलम का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। फरारी के 24 घंटे के भीतर कानपुर के पास पनकी में महर आलम को गिरफ्तार ही नहीं किया गया था। वैसे

By Edited By: Published: Thu, 07 Nov 2013 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2013 09:20 PM (IST)

नई दिल्ली [नीलू रंजन]। पटना धमाकों की जांच कर रही एनआइए की गिरफ्त से फरार कथित आतंकी की गिरफ्तारी की झूठी खबर उड़ाई गई थी। हकीकत यही है कि मुजफ्फरपुर से पिछले बुधवार को फरार महर आलम का अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। फरारी के 24 घंटे के भीतर कानपुर के पास पनकी में महर आलम को गिरफ्तार ही नहीं किया गया था। वैसे एनआइए महर आलम को आतंकी के बजाय गवाह बता रही है, लेकिन उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि खुद एनआइए के पास मदद के लिए आने वाला आलम इस तरह चकमा देकर क्यों भाग गया।

loksabha election banner

एनआइए भले ही महर आलम की फरारी को सामान्य घटना बताने की कोशिश कर रही हो, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इसे बड़ी चूक मानती हैं। सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोधगया और पटना धमाके के मास्टरमाइंड तहसीम अख्तर और हैदर अली के बारे में अहम जानकारी रखने वाला महर आलम कोई सामान्य 'गवाह' नहीं है। एनआइए ने खुद स्वीकार किया है कि महर आलम को लेकर उसकी टीम मुजफ्फरपुर के मीरपुर गांव में हैदर अली की तलाश में गई थी। टीम ने 29 और 30 अक्टूबर की रात को मीरपुर में आलम के बताए घरों की तलाशी भी ली। हैदर अली के नहीं मिलने के बाद टीम मुजफ्फरपुर लौटी आई, जहां से आलम अचानक फरार हो गया।

हैरानी की बात है कि महर आलम की फरारी की खबर लीक होने के चार-पांच घंटे के भीतर ही उसे कानपुर के पास गिरफ्तार किए जाने की खबर फैलाई गई। इसके अनुसार 30 और 31 अक्टूबर की रात को ढाई बजे कानपुर के पास पनकी में पटना से आ रही राजधानी एक्सप्रेस को रोककर महर आलम को गिरफ्तार किया गया। इसे बिहार पुलिस, एनआइए और उप्र एटीएस की टीम ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। लेकिन सुरक्षा एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उस रात कानपुर में महर आलम को गिरफ्तार ही नहीं किया गया था। कानपुर रेलवे स्टेशन के अधिकारी भी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे कि राजधानी एक्सप्रेस को पनकी के आसपास रोका गया था। वे केवल यह कह रहे हैं कि वहां ट्रेन की रफ्तार इतनी धीमी अवश्य थी कि कोई भी चढ़-उतर सके। सवाल यह है कि आलम की गिरफ्तारी की झूठी खबर किसने फैलाई और उसे गवाह बताने में तत्परता दिखाने वाली एनआइए ने इस पर अभी तक चुप्पी क्यों साध रखी है।

आलम की गिरफ्तारी के पहले भी आतंकी घटनाओं की जांच को लेकर एनआइए सवालों के घेरे में रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि गठन के पांच साल बाद भी एनआइए के पास दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। आतंकी हमलों के आरोपियों तक पहुंचने में एनआइए का रिकार्ड भी काफी खराब रहा है। पिछले पांच सालों के दौरान इंडियन मुजाहिदीन के अधिकांश आतंकियों की गिरफ्तारी का श्रेय एनआइए के बजाय दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल और मुंबई व बेंगलूर एटीएस को जाता है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.