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महंगाई रोकने को पासवान ने मांगे अधिकार

आवश्यक वस्तुओं की महंगाई रोकने में नाकाम उपभोक्ता मामले मंत्रालय असहाय हो गया है। पुख्ता कानूनी अधिकार न होने से महंगाई को रोक पाना इसके वश की बात नहीं रह गई है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले संबंधित मंत्रालयों के ऐन मौके पर पल्ला झाड़ लेने का खामियाजा

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2015 08:13 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2015 08:31 PM (IST)

नई दिल्ली। आवश्यक वस्तुओं की महंगाई रोकने में नाकाम उपभोक्ता मामले मंत्रालय असहाय हो गया है। पुख्ता कानूनी अधिकार न होने से महंगाई को रोक पाना इसके वश की बात नहीं रह गई है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले संबंधित मंत्रालयों के ऐन मौके पर पल्ला झाड़ लेने का खामियाजा उपभोक्ता मंत्रालय को ही भुगतना पड़ता है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने इस बारे में कहा 'खाद्य वस्तुओं की महंगाई रोकने के लिए इस मंत्रालय के पास कोई ठोस अधिकार नहीं है।'

पहले प्याज, फिर दाल और अब सरसों तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं महंगाई को लेकर केंद्र सरकार हलकान है। जिंस के मूल्यों की निगरानी की पूरी जिम्मेदारी केंद्रीय उपभोक्ता मामला मंत्रालय के पास है। लेकिन उसके पास न जिंस बाजार की खुफिया जानकारी रहती है और न ही जमाखोर व कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई करने का अधिकार है।

मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संबंधित मंत्रालयों के बीच तालमेल का अभाव होने के चलते मुश्किलें बहुत अधिक है। वास्तविक जानकारी के बगैर महंगाई बढ़ने पर सारी तोहमत उपभोक्ता मंत्रालय पर डाल दी जाती है, जो उचित नहीं है।

उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि खेती, कृषि उत्पादों की पैदावार, बाजार इंटेलीजेंस और मूल्य स्थिरीकरण निधि (पीएसएफ) सब कुछ कृषि मंत्रालय के अधीन है। इसी तरह मांग आपूर्ति के मद्देनजर जिंसों के आयात-निर्यात का फैसला वाणिज्य मंत्रालय के अधीन है।

किसी तरह के टैक्स लगाने अथवा हटाने वाले फैसले वित्त मंत्रालय करता है। इसके अलावा राज्य सरकारों को कानूनों के अमल का अधिकार है। महंगाई रोकने की जिम्मेदारी जिस उपभोक्ता मामले मंत्रालय को सौंपी गई है, उसके पास सिवाय सलाह देने का अधिकार है।

हैरानी जताते हुए उक्त अधिकारी ने बताया कि इन मंत्रालयों के बीच समन्वय नहीं होने से मुश्किलें और अधिक हैं। राज्य सरकारों को भंडारण सीमा लागू करने को कहा गया तो अपने हिसाब से उसमें तोड़ मरोड़कर लागू किया। दाल के आयातक, दाल मिलों और अन्य बड़े व्यापारियों को इससे अलग कर दिया गया। भला ऐसे में महंगाई को रोकने का कानून कैसे कारगर हो सकता है?


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