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खरीद में धीमेपन से घट रही देश की सैन्य शक्ति

खरीद प्रक्रिया के धीमेपन के चलते सशस्त्र सेनाओं की हथियार हासिल करने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। संसदीय समिति ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि खरीद में लगातार देरी अब नुकसानदेह साबित हो रही है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 12:33 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 01:55 AM (IST)
खरीद में धीमेपन से घट रही देश की सैन्य शक्ति

नई दिल्ली। खरीद प्रक्रिया के धीमेपन के चलते सशस्त्र सेनाओं की हथियार हासिल करने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। संसदीय समिति ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि खरीद में लगातार देरी अब नुकसानदेह साबित हो रही है।

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समिति के मुताबिक तोपों, बंदूकों व निगरानी, आग नियंत्रण एवं इंजीनियरिंग उपकरणों के अलावा हवाई रक्षा उपकरणों व बख्तरबंद वाहनों की गंभीर कमी सामने आई है। रक्षा मंत्रालय ने इस कमी का कारण आयुध निर्माण फैक्ट्रियों, और रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों की अपर्याप्त उत्पादन क्षमता और खरीद प्रक्रिया के धीमेपन को बताया है।

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि खरीद प्रक्रिया के धीमेपन से सेनाओं की परिचालन तैयारी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। साथ ही यह सेनाओं के हितों के लिए भी नुकसानदेह साबित हो रही है। समिति ने कहा कि उसे इसकी कोई वजह समझ नहीं आई है कि सेनाओं में पुराने पड़ चुके हथियारों व उपकरणों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है, जबकि इन उपकरणों का हर गुजरते साल के साथ लगातार क्षरण होता जा रहा है।

इसके कारण सेनाओं के लिए ऐसे हथियारों के गोलाबारूद और पुर्जों की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि इनके मूल विनिर्माता को खोजना पड़ता है। गोलाबारूद और पुर्जो की अनुपलब्धता ऐसी स्थिति में बेहद खतरनाक साबित हो सकती है, जब अचानक युद्ध जैसी कोई स्थिति पैदा हो जाए। समिति ने सिफारिश की है कि मुख्य कमियों को जल्दी से जल्दी दूर किया जाए और फैक्ट्रियों या पीएसयू या रक्षा मंत्रालय के बीच एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने की कवायद बंद की जाए।

लड़ाकू विमान दस्तों की कमी भी भड़की समिति

रक्षा मामलों पर संसद की स्थाई समिति ने वायु सेना में लड़ाकू विमान दस्तों की कमी को लेकर भी रक्षा मंत्रालय की खासी खिचाई की है। समिति ने कहा कि सक्रिय लड़ाकू विमान दस्तों की मंजूर संख्या के मुकाबले मौजूदा दस्ते काफी कम हैं। यदि यह कमी बरकरार रही तो पड़ोसी देश के मुकाबले हासिल मामूली बढ़त भी समाप्त हो जाएगी।

समिति ने कहा कि वायु सेना में 42 लड़ाकू विमान दस्तों की मंजूरी है लेकिन फिलहाल 35 स्क्वाड्रन ही सक्रिय हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वायुसेना के प्रतिनिधियों ने बताया कि पुराने विमानों को हटाने की कवायद शुरू हो चुकी है, इसलिए वर्ष 2022 तक मौजूदा विमान दस्तों में से केवल 25 ही बाकी रह जाएंगे। इससे लड़ाकू विमानों की संख्या में मामले में देश को पड़ोसी देश पर जो भी बढ़त हासिल है वह समाप्त हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया कि 'दोतरफा खतरे' से बचने के लिए वायु सेना को 45 नए लड़ाकू विमान दस्ते जोड़ने की जरूरत है। दोतरफा खतरे की बात से आशय संभवत: पाकिस्तान और चीन से है।

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