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वीआइपी के सामने जानवरों की तरह करनी पड़ती थी परेड

अपनी 13 वर्षीया बेटी आरुषि की हत्या के मामले में डॉ. राजेश तलवार पत्नी नुपूर तलवार सहित दोषी करार दिए गए हैं। 25 नवंबर 2013 से वह उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। शुरू-शुरू में उनकी वीआइपी के सामने परेड कराई जाती थी। इसका खुलासा डॉ.

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2015 10:00 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2015 11:43 PM (IST)
वीआइपी के सामने जानवरों की तरह करनी पड़ती थी परेड

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। अपनी 13 वर्षीया बेटी आरुषि की हत्या के मामले में डॉ. राजेश तलवार पत्नी नुपूर तलवार सहित दोषी करार दिए गए हैं। 25 नवंबर 2013 से वह उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। शुरू-शुरू में उनकी वीआइपी के सामने परेड कराई जाती थी। इसका खुलासा डॉ. राजेश तलवार ने अपनी डायरी में किया है।

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उन्होंने नवंबर 2013 से जनवरी 2014 के बीच जेल में ही डायरी लिखी थी। इसमें लिखा है, कानून मंत्री से मिलना हुआ, क्योंकि डिप्टी जेलर ने मुझे वहां बुलाया था.. ऐसा लगता है, चिडि़याघर का कोई जानवर हूं, जिसे देखने सब आते रहते हैं.. परमिंदर अवाना (आइपीएल की टीम किंग्स इलेवन पंजाब का क्रिकेटर) तथा कुछ और लोग भी आए थे.. उन्हें मुझे से मिलवाया गया, पता नहीं क्यों..? समझ नहीं आ रहा था, क्या प्रतिक्रिया दूं?

पत्रकार अविरूक सेन की नई किताब 'आरुषि' में डायरी की बातों को शामिल किया गया है। यह किताब आरुषि हत्याकांड मामले की पड़ताल करती लग रही है।

काश, मैं जाग जाता..

डायरी में तलवार लिखते हैं, काश, मैं (उस रात) जाग जाता.. मैं अपनी प्यारी आरू को भी नहीं बचा पाया..। उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का जिक्र भी किया है। भ्रष्टाचार के दोषी करार दिए जाने के बाद कुशवाहा भी इसी जेल में सजा काट रहे हैं। उन्होंने लिखा, 'वह बहुत अच्छे आदमी हैं। शायद उन्हीं के कारण हम सब एक ही बैरक में हैं.. हममें से ज्यादातर को यही चिंता है कि अगर वह जमानत पर छूट गए तो हमारा क्या होगा..?'

जेल बदलना हमें खत्म कर देगा

डायरी में राजेश ने कई बार आगरा जेल भेजे जाने को लेकर (इसका प्रस्ताव था) चिंता भी जताई है। उन्हें डर था कि जो अधिकारी उनके व नुपूर के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, वे अपना गुस्सा निकालेंगे। उन्होंने लिखा, 'जेल का बदला जाना 'हमें खत्म कर देगा।'

सीबीआइ को नहीं मिला सुबूत

हत्याकांड की जांच करने वाली सीबीआइ ने दिसंबर 2010 में कोर्ट में कहा था कि उन्हें तलवार दंपति के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला, लेकिन जज ने मामला खारिज करने की अनुमति नहीं दी। बाद में उन्हें दोषी करार दिया गया।

बिस्तर पर मृत मिली थी आरुषि

14वें जन्मदिन से कुछ ही दिन पहले आरुषि की लाश उनके बिस्तर पर पड़ी मिली थी। कुछ घंटे बाद तलवार परिवार के घर की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज की लाश भी मिली। उसे तब तक मुख्य अभियुक्त समझा जा रहा था। जांचकर्ताओं का कहना था कि तलवार के घर में बाहर से कोई नहीं आया। यह काम घर के ही किसी सदस्य का है।

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