पश्चिमी मीडिया ने नकारा पाक का दावा, कहा था, यूनिवर्सिटी हमले में भारत का हाथ
हाल में पेशावर की बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले को लेकर वहां की मीडिया और कट्टरपंथी मिलिट्री की तरफ से भारत पर इस हमले के आरोप को पश्चिमी मीडिया ने पूरी तरह से नकार दिया है।
वाशिंगटन। हाल में पेशावर की बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले को लेकर वहां की मीडिया और कट्टरपंथी मिलिट्री की तरफ से भारत पर इस हमले के आरोप को पश्चिमी मीडिया ने पूरी तरह से नकार दिया है। इसके साथ ही, वहां की मीडिया ने पाकिस्तान को इस बात की याद दिलाई है कि उनका आतंकियों के भरण-पोषण को लेकर खुद का कैसा रिकॉर्ड रहा है।
पाकिस्तान की तरफ से इस आरोप पर काफी चर्चा हुई जब इस हफ्ते चारसद्दा की बाचा खान यूनिवर्सिटी पर हुए आतंकी हमले में कुल 21 जाने चली गई। मरनेवालों में अधिकतर उस यूनिवर्सिटी के छात्र थे। हालांकि, इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालीबान ने ली उसके बावजूद पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठान ने वहां के नामी पत्रकारों और टेलीविजन एंकर्स को सामने लाकर इस हमले के लिए भारत को कसूरवार ठहराने की पूरी कोशिश की।
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ठीक उसी तरह जैसा पाकिस्तान ने पिछले साल पेशावर के एक स्कूल में हुए आतंकी हमले के वक्त किया था जब तहरीक-ए-तालीबन की तरफ से 140 बच्चों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। इस आरोप की पश्चिमी मीडिया में जमकर खिल्ली उड़ाई गई जो ये जानता है कि किस तरह से पाकिस्तान का आतंकियों के साथ पुराना रिश्ता रहा है और वो अफगानिस्तान के खिलाफ सामरिक शक्ति के लिए इसका इस्तेमाल करता है।
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एक अर्थशास्त्री ने कहा कि पाकिस्तान का ये आरोप कि उसकी धरती पेशावर में हुए दोनों हमलों में भारत का हाथ है ये सबूत की तुलना मनगढ़ंत तरीके से कही गई बातें है। उन्होंने आगे कहा कि पेशावर में हुए आतंकी हमले को लेकर पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किसी तरह का कोई सबूत नहीं दिया जबकि भारतीय अधिकारियों ने पठानकोट में हुए हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ होने के कार्रवाई योग्य खुफिया सबूत पेश किए। इसके साथ ही, भारत ने पाकिस्तान को ये भी कहा कि वो इस मामले में अपने जांचदल को भी भेजे।
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