सर्जिकल स्ट्राइक के बाद गलती से सीमा पार गए जवान चंदू की हुई वापसी
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में बताया गया कि 21 जनवरी, 2016 को दोपहर ढ़ाई बजे वाघा बार्डर पर चंदू लाल चौहान को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया।
नई दिल्ली, जेएनएन। पिछले एक वर्ष से तल्ख चल रहे भारत व पाकिस्तान के रिश्ते में अचानक ही उम्मीद की एक नई किरण सी दिखाई देने लगी है। पाकिस्तान ने रास्ता भटक कर अपनी सीमा में घुस आए भारतीय सैनिक चंदू बाबूलाल चौहान को छोड़ दिया।
चौहान को 29 सितंबर, 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के अगले दिन ही पाकिस्तान की सीमा के भीतर पकड़ा गया था। तब पाकिस्तान के कई अखबारों ने यह लिखा था कि वह सर्जिकल स्ट्राइक की कोशिश कर रहे भारत के विशेष फोर्स टीम के सदस्य हैं जिन्हें पकड़ा गया है। बहरहाल, चौहान को छोड़ने से कूटनीतिक हलके में इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्तों को समान्य करने की ट्रैक टू पॉलिसी पर्दे के पीछे चल रही है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी सूचना में बताया गया कि 21 जनवरी, 2016 को दोपहर ढ़ाई बजे वाघा बार्डर पर चंदू लाल चौहान को भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। इसमें यह बताया गया है कि चौहान अपनी कुछ मांग को लेकर अपने अधिकारियों से नाराज थे और इस वजह से वह नियंत्रण रेखा को पार कर गये थे। पाकिस्तान यह मानता है कि इस सैनिक को अपने देश लौट कर एक भारतीय नागरिक के तौर पर अपनी मांग रखनी चाहिए। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने यह कहा है कि, ''भारतीय सैनिक को मानवीय आधार पर छोड़ा गया है। पाकिस्तान नियंत्रण रेखा और सीमा पर शांति बनाये रखने का पक्षधर है। भारत के बेहद आक्रामक तेवर के बावजूद पाकिस्तान क्षेत्रीय शांति को नुकसान पहुंचाने वाले हर कदम का विरोध करता है।''
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भारतीय रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चंदू बाबूलाल चौहान 29 सितंबर, 2016 को पाक अधिकृत कश्मीर में प्रवेश कर गये थे। 07 अक्टूबर, 2016 को पाकिस्तान की सेना ने उनके अपने यहां होने की बात स्वीकार की थी। उसके बाद से दोनों देशों के बीच इस बारे में डीजीएमओ स्तर पर बातचीत हो रही है। देश के विदेश मंत्रालय और इस्लामाबाद स्थिति उच्चायोग ने भी इसे उठाया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पिछले दिनों कहा था कि भारतीय सैनिक चौहान के बारे में उच्च स्तर पर बात हो रही है।
पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर कभी यह नहीं माना कि भारतीय सेना ने 28 सितंबर, 2016 करो उसकी सीमा के भीतर कोई सर्जिकल स्ट्राइक किया था लेकिन वहां की मीडिया ने चौहान की गिरफ्तारी को स्ट्राइक से जोड़ कर देखा। चौहान को सर्जिकल स्ट्राइक के अगले दिन ही गिरफ्तार किया गया था। चौहान को स्वदेश वापस लाना दोनों देशों के बीच हाल के महीनों में रिश्तों को सुधारने की दिशा में शायद सबसे बड़ा कदम है।
वैसे दिसंबर, 2016 के शुरुआत में पीएम नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज अमृतसर में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिले थे लेकिन इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर दोनों देश चुप्पी साधे हुए हैं। कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच वैसे काफी तल्ख भरी भाषा में बातचीत हो रही है। पिछले शुक्रवार को ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपना साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेंस में कश्मीर को लेकर कई तरह के अनर्गल बयान दिये हैं। अब देखना है कि चौहान की स्वदेश वापसी के बाद रिश्तों में क्या बदलाव आता है।
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