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कूटनीति में पूर्णविराम नहीं होता, पाक से बातचीत रुकी, खत्म नहीं

पाकिस्तान उच्चायुक्त की कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मुलाकात के बाद भारत-पाक शांति वार्ता पटरी से भले ही उतर गई हो, लेकिन इस पर पूर्ण विराम नहीं लगा है। बातचीत में गतिरोध के लिए पाक के रवैये को दोषी करार देने के साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस महीने न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मुलाकात की संभावना को भी खारिज नहीं किया है।

By Edited By: Published: Mon, 08 Sep 2014 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 09 Sep 2014 09:12 AM (IST)
कूटनीति में पूर्णविराम नहीं होता, पाक से बातचीत रुकी, खत्म नहीं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान उच्चायुक्त की कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मुलाकात के बाद भारत-पाक शांति वार्ता पटरी से भले ही उतर गई हो, लेकिन इस पर पूर्ण विराम नहीं लगा है। बातचीत में गतिरोध के लिए पाक के रवैये को दोषी करार देने के साथ ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस महीने न्यूयार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मुलाकात की संभावना को भी खारिज नहीं किया है।

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हाल के समय में सीमा पर तनाव और राजनयिक रिश्तों में आई खटास के बाद मोदी सरकार ने बातचीत के गलियारे खुले रखने के संकेत दिए हैं। जम्मू-कश्मीर बाढ़ आपदा में प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सीमा-पार मदद का हाथ बढ़ाने के बाद विदेश मंत्री स्वराज ने भी इसके संकेत दिए। विदेश मंत्रालय के सौ दिनी कामकाज की समीक्षा रिपोर्ट के साथ मीडिया से रूबरू हुई विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों में आगे की रणनीति से जुड़े सवालों पर कहा कि कूटनीति में अ‌र्द्धविराम और अल्पविराम तो होते हैं, लेकिन पूर्ण विराम नहीं। इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाशिये पर दोनों प्रधानमंत्रियों की मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर कहा, हम वहां किसी पूर्वनिर्धारित मानसिकता के साथ नहीं जा रहे हैं। जैसे हालात बनेंगे उसके अनुसार फैसला लेंगे।

हालांकि सुषमा ने विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद करने के फैसले को सही ठहराया और कहा कि भारत के अंदरूनी मामलों में दखल ना देने की पाकिस्तान से अपेक्षा बहुत ज्यादा तो नहीं है। स्वराज ने इस बात को रेखांकित किया कि प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में मानवीय सहायता के लिए प्रधानमंत्री की ओर से की गई पहल की भावना को देखा जाना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि इस मामले पर इस्लामाबाद की ओर से भारत को कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली।

विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्रालय ने कूटनीति का सक्रिय, संवेदनशील और सशक्त चेहरा बनाने की कोशिश की है। उन्होंने सरकार की उपलब्धियों पर संतोष भी जताया। स्वराज के मुताबिक इस कड़ी में जहां कामकाज संभालने के साथ ही पड़ोसी शासनाध्यक्षों को बुलाने की पहल की गई वहीं संकट में फंसे भारतीयों को बड़े पैमाने पर राहत बचाव भी किया गया। इसके अलावा पाक जैसे पड़ोसी से लेकर विश्व शक्ति अमेरिका साइबर जासूसी जैसे मुद्दे पर खरे लहजे में संदेश भी दिया गया है।

पासपोर्ट किल्लत घटी:

विदेश मंत्री ने पासपोर्ट पुस्तिकाओं की किल्लत दूर करने के उपायों की जानकारी भी दी। उनका कहना था कि तीन माह पहले तक पासपोर्ट पुस्तिकाओं में 53700 की कमी थी जिसके कारण लोगों को असुविधा हो रही थी। इसके मद्देनजर किए प्रयासों में अब यह कमी पूरी कर ली गई है। उनके मुताबिक दो करोड़ पुस्तिकाओं के लिए ऑर्डर दिए जा चुके हैं। विदेश मंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों में सभी राजधानियों में जल्द पासपोर्ट सेवा केंद्र उपलब्ध कराने का भी वादा किया।

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