संयुक्त समिति ने कहा- किसी कानून या फैसले में परिभाषित नहीं 'लाभ का पद'
संयुक्त संसदीय समिति ने कानून मंत्रालय से कहा कि लाभ का पद मामले में वह विधेयक लेकर आए ताकि चीजें साफ हो सके।
नई दिल्ली, प्रेट्र : लाभ का पद को लेकर कई सांसद/विधायक अयोग्य घोषित हो चुके हैं। हालांकि इसे किसी कानून या फैसले में परिभाषित नहीं किया गया है। इसे देखते हुए संसदीय समिति ने कानून मंत्रालय को इस संबंध में विधेयक लाने को कहा है जिससे यह स्पष्ट हो कि किस पद पर होने से सांसद अयोग्य करार दिए जाएंगे।
लाभ के पद से संबंधित संयुक्त संसदीय समिति ने पिछले सप्ताह अपनी दो रिपोर्ट संसद में पेश की। इसमें कहा है कि संविधान, जनप्रतिनिधित्व कानून, संसद (अयोग्यता रोकथाम) कानून और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के फैसले में इसे परिभाषित नहीं किया गया है। समिति ने कहा कि सरकार के तहत मौजूदा विभिन्न पदों को लेकर परिभाषा तय करना आसान नहीं है। इसलिए कानून मंत्रालय इस संबंध में एक विधेयक तैयार करे। उसमें यह स्पष्ट हो कि कौन सा पद सांसदों को अयोग्य ठहराएगा और किस पद को इससे छूट दी जाएगी।
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समिति ने कहा कि संसद (अयोग्यता रोकथाम) कानून की अनुसूची के पार्ट 1 और पार्ट 2 में ऐसी संस्थाओं सूची है जिसके पद पर होने से अयोग्य करार दिया जाएगा। हालांकि ऐसे कई पद होंगे जो सूची में शामिल न हों। इसके चलते ऐसी धारणा बन सकती है कि नकारात्मक सूची से बाहर वाले पद सुरक्षित हैं। लेकिन इससे सांसदों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। भाजपा से सत्यपाल सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इस अस्पष्टता को दूर करने की जरूरत बताई है।
अपनी दो रिपोर्टों में से एक में समिति ने कहा है कि विदेश मंत्रालय के तहत चार संस्थाओं में कार्य करने वाले सांसद 'लाभ का पद' के दायरे से बाहर रहेंगे। ये संस्थाएं हैं-भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, शोध एवं सूचना प्रणाली, हिंदी सलाहकार समिति और विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
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