ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज पर कसा सीबीआइ का शिकंजा
रिश्वत की लेन देन के आरोप में ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज आइएम कुदुसी पर सीबीआइ का शिकंजा कस गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मेडिकल कालेज की मान्यता बहाल कराने के लिए रिश्वत की लेन देन के आरोप में ओडिशा हाईकोर्ट के पूर्व जज आइएम कुदुसी पर सीबीआइ का शिकंजा कस गया है। इस मामले में सीबीआइ ने कुदुसी के साथ ही छह लोगों को आरोपी बनाया है। इस क्रम में मारे गए छापे में सीबीआइ रिश्वत में दी गई एक करोड़ की रकम के साथ-साथ दो आरोपियों के यहां 85 लाख रुपये नकद बरामद किया है।
दरअसल लखनऊ के प्रसाद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेंस समेत 46 मेडिकल कालेजों में कमियों को देखते हुए एमसीआइ ने उनमें नए छात्रों के नामांकन पर रोक लगा दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर अदालत ने एमसीआइ को नए सिरे से इस पर विचार करने को कहा था। लेकिन एमसीआइ ने दो सालों के लिए नामांकन पर रोक लगा थी। इसके बाद प्रसाद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेंस के बीपी यादव और पलाश यादव ने मेरठ के वेंकेटश्वर मेडिकल कालेज के सुधीर गिरी के मार्फत भावना पांडेय और आइएम कुदुसी से संपर्क किया।
सीबीआइ के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि आइएम कुदुसी ने अपने संपर्को के जरिये मेडिकल कालेजों को सुप्रीम कोर्ट से राहत देने का भरोसा दिया। इसके लिए कुदुसी ने भुवनेश्वर के विश्वनाथ अग्रवाल से संपर्क किया। विश्वनाथ अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट में अपने ऊंचे संबंधों का दावा करता है। इस काम के लिए विश्वनाथ अग्रवाल ने एक करोड़ रुपये की रिश्वत एडवांस में मांगी। जिसे हवाला आपरेटर रामदेव सारस्वत के माध्यम से उसे पहुंचाया गया। इस बीच पूरी डील की भनक सीबीआइ को लग गई।
सीबीआइ ने आइएम कुदुसी, भावना पांडेय, बीपी यादव, पलाश यादव, सुधीर गिरी और रामदेव सारस्वत समेत अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर छह स्थानों पर छापा मारा। दिल्ली, लखनऊ और भुवनेश्वर में मारे गए छापे के दौरान सीबीआइ ने अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है।
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