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दिल्ली चुनाव में मुद्दा बन सकते हैं ओबामा

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में भी भाजपा का पूरा दारोमदार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही है लेकिन परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। एक मुद्दा बन सकते हैं। दिल्ली में युवाओं और फ्लोटिंग वोटरों की बड़ी संख्या को देखते हुए संभव है

By manoj yadavEdited By: Published: Tue, 27 Jan 2015 08:17 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jan 2015 09:27 PM (IST)
दिल्ली चुनाव में मुद्दा बन सकते हैं ओबामा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में भी भाजपा का पूरा दारोमदार तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही है लेकिन परोक्ष रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। एक मुद्दा बन सकते हैं। दिल्ली में युवाओं और फ्लोटिंग वोटरों की बड़ी संख्या को देखते हुए संभव है कि महाराष्ट्र चुनाव की तर्ज पर ही यहां भी अमेरिका एक मुद्दा हो। संभव है कि मोदी-ओबामा की केमिस्ट्री का वीडियो चुनाव प्रचार का हिस्सा हो। महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा ने अमेरिका के मैडिसन स्क्वायर पर मोदी के लिए जुनून को चुनाव प्रचार में शामिल किया था।

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किरण बेदी ने नाम उछाला

मंगलवार को अपने चुनाव प्रचार में भाजपा की मुख्यमंत्री उम्मीदवार किरण बेदी ने खुलकर ओबामा का मुद्दा उछाल दिया है। हालांकि भाजपा के कई नेता उनके तरीके से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन यह तय है कि चुनाव प्रचार में ओबामा की भारत यात्रा का भी उपयोग किया जाएगा।

युवा वोटरों पर नजर

ध्यान रहे कि दिल्ली में युवा वोटर मुखर भी हैं और अहम भी। यही वर्ग है जो अमेरिका से प्रभावित भी है और रोजगार सृजन से लेकर आपसी संबंध, वीजा प्रावधान में सुधार जैसे मुद्दों को बड़ा विषय भी मानता है। ऐसे में जाहिर है कि परोक्ष रूप से ओबामा की यात्रा और खासतौर पर प्रधानमंत्री से उनके रिश्तों के जरिये भी वोटरों को साथ खड़ा किया जाएगा।

उपलब्धि का करेंगे बखान

पार्टी के एक नेता के अनुसार - 'विपक्ष तो कैंटोनमैंट चुनाव तक को मोदी की लहर से जोड़ रहा था। ओबामा और मोदी की वार्ता में भारत को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है तो क्या उसे बताया नहीं जाना चाहिए। खासतौर पर तब जबकि बिजली, पानी और स्वच्छता से लेकर रोजगार तक पर असर पड़ने वाला हो।'

मोदी भी जिक्र कर सकते हैं

एक अन्य नेता के अनुसार संभव है कि तीन दिन की यात्रा से कुछ ऐसे वीडियो क्लिपिंग्स इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जिसमें मोदी-ओबामा की केमिस्ट्री की झलक दिखे और उसी के जरिये यह भी साबित करने की कोशिश हो सकती है कि मोदी के शासन काल में ही पहली बार भारत को बराबरी का वह दर्जा मिला है, जिसकी केवल अपेक्षा की जाती थी। संभव है कि 31 जनवरी से शुरू होने वाले मोदी के चुनाव प्रचार में भी ओबामा का जिक्र हो जाए।

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