अब बेटी बचाओ अभियान में रेलवे स्टेशनों का उपयोग
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक डा. राजेंद्र फड़के ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक चिट्ठी लिखकर रेलवे का सहयोग मांगा है।
नई दिल्ली,[संजय सिंह]। ट्रेने क्यों घंटों लेट चल रही हैं। आए दिन रेल फै्रक्चर क्यों हो रहे हैं इसका कारण समझने में अब दिक्कत नहीं होनी चाहिए। रेल का उपयोग हर उस कार्य के लिए हो रहा है जिससे उसका कुछ लेना देना नहीं है। दक्षता विकास और बारातों को ठहराने के लिए स्टेशन परिसरों के उपयोग की बात पहले ही सामने आ चुकी है। और बेटियों को बचाने व पढ़ाने में इनका इस्तेमाल होने वाला है। इस संबंध में भाजपा में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के राष्ट्रीय संयोजक डा. राजेंद्र फड़के ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु को एक चिट्ठी लिखी है।
चिट्ठी में फड़के ने प्रधानमंत्री का नाम लेकर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के लिए रेलवे का सहयोग मांगा है। चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि 'प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तीव्र कार्यान्वयन के लिए जन भागीदारी की जरूरत है। रेलवे में रोजाना करोड़ों यात्री सफर करते हैं। इनकी सक्रिय भागीदारी से एक साल में 20-25 करोड़ लोगों को इससे जोड़कर इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सकता है।
खत में आगे कहा गया है कि भारतीय रेल के लिए यात्रियों की सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हिंसा पर अंकुश लगाने और रेलवे में अप्रिय घटनाओं को रोकने में पुलिस और स्थानीय नागरिकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जन भागीदारी के माध्यम से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत के 7172 स्टेशनों के माध्यम से कार्यक्रम का आयोजन किया जाना है। इसके लिए प्रत्येक स्टेशन पर राष्ट्रीय जन भागीदारी/यात्री सुरक्षा समिति का गठन करना होगा। इन समितियों में स्टेशन प्रबंधक, आरपीएफ व जीआरपी अफसर, स्थानीय सरपंच व वार्ड सदस्य, कल्याणकारी संगठनों के सदस्य, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, स्वयं सहायता समूहों के सदस्य, पार्षद, स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधि, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता आदि को सदस्य बनाया जाएगा। प्रत्येक समिति में अधिकतम 12 सदस्य होंगे जिनका चयन स्टेशन अधीक्षक/प्रबंधक द्वारा किया जाएगा।
ये समितियां जंक्शनों, स्टेशन परिसरों और प्रतीक्षालयों में वीडियो और प्रिंट सामग्री के माध्यम से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ संदेश का प्रचार करेंगी तथा महिलाओं औरच्बच्चों की सुरक्षा के प्रति यात्रियों और आम लोगों को जागरूक बनाएंगी। समय-समय पर सुरक्षा संबंधी कार्यक्रमों का संचालन करना भी इनकी जिम्मेदारी का हिस्सा होगा। इसके अलावा लड़कों के मुकाबले लड़कियों की घटती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक बनाने की जिम्मेदारी भी इन समितियों के कंधों पर होगी। इसके लिए सभी रेलवे स्टेशनों में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा। समितियों का प्रारंभिक कार्यकाल तीन वर्ष का होगा, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है। हर तीन महीने में इन समितियों की बैठक होगी।