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कांग्रेस को एक और झटका, कार्यालय खाली करने का नोटिस

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कांग्रेस पार्टी को दिल्ली के अकबर रोड स्थित मुख्यालय खाली करने का नोटिस भेजा है। नोटिस में कांग्रेस से उसके अधीन चार संपत्तियों को खाली किए जाने को कहा है। इसमें 24 अकबर रोड पर पार्टी के मुख्यालय, 26 अकबर रोड स्थिति सेवा दल का

By Test2 test2Edited By: Published: Thu, 19 Feb 2015 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 19 Feb 2015 09:00 PM (IST)
कांग्रेस को एक और झटका, कार्यालय खाली करने का नोटिस

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने कांग्रेस पार्टी को दिल्ली के अकबर रोड स्थित मुख्यालय खाली करने का नोटिस भेजा है। नोटिस में कांग्रेस से उसके अधीन चार संपत्तियों को खाली किए जाने को कहा है। इसमें 24 अकबर रोड पर पार्टी के मुख्यालय, 26 अकबर रोड स्थिति सेवा दल का कार्यालय सहित 5 रायसीना रोड पर युवा कांग्रेस का कार्यालय, सोनिया के सलाहकार रहे विंसेंट जार्ज का आवास शामिल है।

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शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिस में कहा है कि कांग्रेस को इन सभी संपत्तियों की दी गई लीज की अवधि 26 जून 2013 को ही समाप्त हो गई थी। ऐसे में पार्टी इन जगहों को खाली कर दे। गौरतलब है कि बेहद पॉश इलाके में स्थिति इन जगहों पर पार्टी लंबे समय से रियायती दरों पर काबिज है।

पिछली बार पार्टी को लीज को तीन साल के लिए आगे बढ़ाया गया था। इसकी अवधि 26 जून, 2013 को ही खत्म हो गई थी। उस समय संप्रग सरकार के कारण पार्टी बिना किसी औपचारिकता के संपत्तियों पर काबिज रही।

उधर, नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर लीज की समय सीमा को बढ़ाए जाने की गुजारिश की है। कांग्रेस पार्टी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने कहा कि 'हमें कुछ दिनों पहले ही नोटिस मिला, हमने इसका जवाब दे दिया है। यदि वह और कुछ पूछते हैं तो उसकी भी जानकारी देंगे।' गौरतलब है कि कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक पार्टियों को कार्यालय के लिए दूसरी जगह आवंटित की जा चुकी है।

नहीं छोडऩा चाहते लुटियन जोन :

दरअसल कांग्रेस लुटियन जोन का मोह छोड़ नहीं पा रही है। बड़ी चतुराई से मार्च, 2007 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग-1 ने दोनों सदनों में पार्टी के कुल सांसदों की संख्या को आधार बना राजनीतिक दलों को भूमि आवंटित करने का फैसला किया था। इसके तहत 200 से ज्यादा सांसदों वाली पार्टियों को 4 एकड़ जमीन आवंटित की गई। जबकि, 101-200 सांसदों वाली पार्टियों को दो एकड़।

वहीं, 51-100 सांसदों वाली पार्टियों को एक एकड़ व 26-50 सांसदों वाली पार्टियों को आधा एकड़ भूमि मिलनी थी। जाहिर है कि इसका फायदा सबसे ज्यादा कांग्रेस को हुआ। कांग्रेस को कोटला रोड पर चार एकड़ का भूखंड मिला। वहीं, भाजपा को दीनदयाल मार्ग पर दो, माकपा को एक एकड़ जमीन मिली। नीति के तहत राजनीतिक दलों को भूमि आवंटन के दो वर्षो के भीतर पहले से मिले सरकारी बंगलों को खाली करना था।

पढ़ें : संसद में भूमि अध्यादेश का विरोध करेगी कांग्रेस


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