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कश्मीरी युवकों ने कहा-हमें नेताओं की नहीं फौज की सरकार चाहिए

जम्मू-कश्मीर में आए सैलाब ने उन लोगों की मानसिकता बदल दी है, जो कभी फौज पर पत्थर बरसाते थे। इस संकट की घड़ी में आज वह सेना को मसीहा मान रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों में सेना द्वारा श्रीनगर में चलाए जा रहे राहत कार्यो ने कश्मीरियों के दिलों में जमी मैल को धो दिया है। कभी 'इंडियन फोर्सेज गो

By Edited By: Published: Fri, 12 Sep 2014 02:04 AM (IST)Updated: Fri, 12 Sep 2014 03:05 AM (IST)
कश्मीरी युवकों ने कहा-हमें नेताओं की नहीं फौज की सरकार चाहिए

जम्मू [राहुल शर्मा]। जम्मू-कश्मीर में आए सैलाब ने उन लोगों की मानसिकता बदल दी है, जो कभी फौज पर पत्थर बरसाते थे। इस संकट की घड़ी में आज वह सेना को मसीहा मान रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों में सेना द्वारा श्रीनगर में चलाए जा रहे राहत कार्यो ने कश्मीरियों के दिलों में जमी मैल को धो दिया है। कभी 'इंडियन फोर्सेज गो बैक' के नारे लगाने वाले कश्मीरी आज नेताओं की नहीं सेना की सरकार चाहते हैं।

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कारण यह है कि बाढ़ में फंसे लोगों को स्थानीय प्रशासन व नेतागण उनकी मदद के लिए नहीं पहुंचे। सेना ही थी जिसने जमीन से लेकर आसमान तक उनकी हर संभव सहायता की। सेना अभी तक सवा लाख के करीब लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल चुकी है। अलगाववादी नेता जो फौज के खिलाफ आग उगलते थे वे भी खामोश हैं। लोगों का स्पष्ट कहना है कि आज घाटी में सेना नहीं होती तो उन्हें इस आपदा से कोई राजनेता या धार्मिक नेता नहीं बचा सकता था।

श्रीनगर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से सेना की मदद से निकाले गए कश्मीर निवासियों को गुरुवार सुबह एयरफोर्स के विमान से टेक्निकल एयरपोर्ट जम्मू लाया गया। विमान से उतरने ही लोगों ने सेना के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। आंखों में आंसू और राजनीतिक दलों के प्रति गुस्सा उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था। नारेबाजी करते हुए ये कश्मीरी युवा बार-बार यही कह रहे थे कि उन्हें नेताओं की नहीं बल्कि फौज की सरकार चाहिए। जब वे अपने घरों की छतों पर भूखे-प्यासे मदद की गुहार लगा रहे थे, तब उन्हें नेताओं ने नहीं सेना ने बचाया। बिलाल अहमद व उसके साथ आए दस कश्मीरी युवाओं ने सेना के जवानों को देवदूत बताया।

24 घंटे चल रही सेना की रसोई

ऊधमपुर : प्राकृतिक आपदा में लोगों के लिए सेना देवदूत बनकर जी-जान से जुटी हुई है। राहत व बचाव अभियान में पूरी सक्रियता से हिस्सा लेकर लोगों की जिंदगियां बचाने के साथ सेना अन्नपूर्णा बनकर पीडि़तों की भूख भी मिटा रही है। इसके लिए सेना ने 24 घंटों चलने वाली विशेष रसोई स्थापित की है। बिना बंद हुए लगातार चल रही इस विशेष रसोई में रोजाना तीन से चार हजार लोगों के लिए ताजा खाना बनाकर उनको पैकेटों में पैक किया जा रहा है। यह खाना तीन दिनों तक खाने के लिए सुरक्षित रहता है।

घर लौटे 500 आइआइटी छात्र

जम्मू : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर लद्दाख में फंसे आइआइटी के पांच सौ युवाओं को लेह प्रशासन ने विमानों से से घर भेज दिया। उन्हें वहां से निकालने के लिए कोई किराया नहीं लिया गया। श्रीनगर में फंसे ये युवा बुधवार को किसी तरह श्रीनगर से लेह पहुंच गए थे। इनके अलावा गुरुवार को श्रीनगर से 150 के करीब और विद्यार्थी लेह पहुंच गए। जिला प्रशासन ने उनके बारे में भी केंद्र सरकार को सूचित कर दिया है।

वैष्णो देवी के सभी मार्ग सुचारु

कटड़ा : भारी बारिश के कारण बंद हुए मां वैष्णो देवी के नए मार्ग को भी श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने सप्ताह बाद वीरवार को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया। इसके साथ ही मां वैष्णो देवी के सभी मार्ग यात्रा के लिए सुचारु हो गए। श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के मां वैष्णो देवी के दर्शनों को आ-जा सकते हैं। हालांकि आपदा के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में बेहद कमी आई है।

सेना के कायल हुए पाक के पीर

जम्मू : पाकिस्तान के इस्लामाबाद से हाजी पीर अलादीन सिद्दीकी कश्मीर में पहली बार जन्नत की सैर के लिए निकले थे। यहां आई बाढ़ के भयावह रूप देखकर उनका दिल थर्रा गया। उनकी आंखों ने जो दृश्य देखा उसने सारा भ्रम मिटा दिया। कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने में सेना की मुस्तैदी देख कर पीर अलाद्दीन हैरान रह गए। उन्हें यहां आकर पता चला कि कश्मीरियों की हमदर्द सेना ही है।

विशेष ट्रेन से ट्रैक की सफाई

जम्मू : हाल ही में आई मूसलाधार बारिश के साथ रेलवे पटरी में आई गंदगी को हटाने के लिए रेलवे प्रबंधन ने विशेष ट्रेन से ट्रैक की सफाई की। हालांकि, रेलवे प्रबंधन ने ट्रैक की सफाई को पहले ही सुचारू कर दिया था, लेकिन पटरी के कुछ हिस्सों में पत्थर तथा कुछ अन्य पदार्थ फंस गए थे। विशेष ट्रेन की मदद से भेजा ट्रैक की सफाई की।

सुरक्षित हैं इग्नू के कुलपति

नई दिल्ली : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एम असलम के लापता होने की खबर का इग्नू के उपकुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने खंडन किया है। उन्होंने बताया कि मीडिया में आई खबरों से इग्नू के कर्मचारी आहत हैं। हमारी बात सात सितंबर को कुलपति से हुई थी और उन्होंने बताया था कि वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कुलपति श्रीनगर स्थित कश्मीर यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर के यहां ठहरे हैं। वह वहां शादी में गए थे।

जम्मू में भारी बारिश से बढ़ी चिंता

जम्मू : बाढ़ का कहर झेल चुके जम्मू संभाग में गुरुवार रात फिर भारी बारिश शुरू हो जाने से लोग सहम गए। बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में जारी राहत अभियान में भी परेशानी आई। बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित राजौरी-पुंछ जिले की कई सड़कों पर बारिश से फिर मलबा आ गया। पहले से बंद जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर भी पहाड़ों से मिट्टी आ गई। बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई। प्रशासन मौसम को देखकर सतर्क हो गया है।

तीन हजार पैदल पहुंचे रामबन

बाढ़ से प्रभावित कश्मीर संभाग के करीब तीन हजार लोग 30 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर गुरुवार रात जम्मू संभाग के रामबन जिले में पहुंच गए। पहाड़ों से होकर आए इन लोगों के आते ही सेना ने राहत अभियान शुरू करते हुए उन्हें खाना और दवाएं मुहैया करवाई। इसके बाद सेना ने इन्हें अपने वाहनों में बैठाकर ऊधमपुर रवाना कर दिया।

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