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मोदी की शैली में होगा कश्मीर का कायाकल्प

बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर का पुनर्निर्माण करना आसान नहीं होगा। केंद्र सरकार इस तथ्य को समझ रही है। इसलिए इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगियों को राज्य के पुननिर्माण के लिए तैयार रहने को कहा है। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान भूंकप प्रभावित भुज (गुजरात) में पुनर्निर्मा

By Edited By: Published: Fri, 12 Sep 2014 01:18 AM (IST)Updated: Fri, 12 Sep 2014 01:21 AM (IST)

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर का पुनर्निर्माण करना आसान नहीं होगा। केंद्र सरकार इस तथ्य को समझ रही है। इसलिए इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगियों को राज्य के पुननिर्माण के लिए तैयार रहने को कहा है। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान भूंकप प्रभावित भुज (गुजरात) में पुनर्निर्माण की मिसाल पेश करने वाले मोदी चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में नए सिरे से निर्माण हो। इसके लिए समयबद्ध व आधुनिक पुनर्निर्माण पैकेज तैयार किया जाएगा।

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बुधवार को कैबिनेट की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बाढ़ की स्थिति पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों को पुनर्निर्माण की योजना अभी से बनाने का निर्देश दिए। मोदी ने साफ तौर पर कहा कि बाढ़ में सुधार के तुरंत बाद बगैर किसी देरी के वहां पुनर्निर्माण का काम शुरू किया जाना चाहिए। संकेत इस बात के हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के नेतृत्व में ही राज्य में पुनर्निर्माण का काम होगा। सभी मंत्रालय अपनी प्लानिंग पीएमओ को सौंप देंगे। पीएमओ इन्हें मिला कर एक पैकेज तैयार करेगा। संकेत इस बात के हैं कि राज्य को मिलने वाला पुनर्निर्माण पैकेज का दायरा काफी विस्तृत होगा।

केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है, इसका सही तरह से आकलन में कई महीने लग जाएंगे। लेकिन जो शुरुआती आकलन है, उससे साफ है कि इस आपदा से राज्य की वित्तीय स्थिति भी पूरी तरह से चरमरा सकती है। जम्मू-कश्मीर की आर्थिक स्थिति पहले से ही काफी खराब है। पर्यटन राज्य के राजस्व में सबसे बड़ा योगदान देता है, लेकिन बाढ़ की वजह से पर्यटन का पूरा ढांचा ही नष्ट होने की संभावना है। यही वजह है कि पुनर्निर्माण पैकेज में पर्यटन पर खास तौर पर ध्यान दिया जाएगा। केंद्र सरकार का मानना है कि पर्यटन को बढ़ावा देने से युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी बनेंगे।

राज्य को कई तरीके से वित्तीय मदद दिए जाने की संभावना खोजी जा रही है। विशेष आपदा राहत कोष के अलावा भी राज्य को अतिरिक्त वित्तीय मदद दी जाएगी। चूंकि जम्मू-कश्मीर एक विशेष दर्जा प्राप्त राज्य है, इसलिए वह केंद्र से बहुत ही आसान दर पर कर्ज हासिल करने का हकदार है। केंद्र की विभिन्न योजनाओं में भी राज्य की हिस्सेदारी बढ़ा कर मदद दी जा सकती है।

बाढ़ से सीख लेगी सरकार : उमर

जम्मू [जागरण ब्यूरो]। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने माना है कि बाढ़ के पहले 24 घटों में जम्मू-कश्मीर में सरकार नाम की कोई चीज नहीं थी। सरकार का सारा बुनियादी ढांचा जलमग्न था। संचार सेवाएं भी ठप थीं। कई मंत्री छह दिन के बाद मिले। हमारी सरकार राज्य में आई भीषण बाढ़ से सीख लेगी। हालात ठीक होते ही बाढ़ से निटपने के लिए कदम उठाने का अभियान तेज किया जाएगा। उन्होंने प्रभावित लोगों को छह महीने का राशन देने की भी घोषणा की है।

श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा पांच दिन की लगातार बारिश से बाढ़ रोकने के लिए किए गए प्रबंध विफल हो गए। अब नए तरीके से बाढ़ प्रबंधन की नीति बनाकर उस पर अमल करना होगा। दूरगामी नीति भी बनानी होगी। घाटी में फिर से ऐसे हालात बन सकते हैं। उमर अब्दुल्ला ने सेना द्वारा लोगों को बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान की भी सराहना की। पथराव व हमलों पर उन्होंने कहा कि हमेशा की तरह कुछ शरारती तत्व हालात बिगाड़ने के प्रयास कर रहे हैं।

राहत में पत्थरबाजों का खलल

जम्मू [जागरण ब्यूरो]। कश्मीर में बाढ़ का कहर जारी है। सेना के व्यापक अभियान के बाद भी पानी में फंसे लाखों लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। जलस्तर कम होने के बाद भी श्रीनगर के निचले हिस्सों में फंसे लाखों प्रभावितों तक मदद नहीं पहुंचने से आक्रोश निरंतर बढ़ रहा है। गुरुवार को बटमालू इलाके में राहत अभियान चला रहे वायुसेना के हेलीकॉप्टरों पर कुछ लोगों ने छतों से पत्थर बरसाए। अब तक सवा लाख के करीब लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। बचाव अभियान को तेजी देने के लिए नौसेना के मैरीन कमांडो का एक दल भी यहां पहुंच चुका है।

बाढ़ से पीड़ित लोग जम्मू-कश्मीर सरकार के बचाव इंतजामों से बेहद नाराज हैं। ऐसे में उनके सामने जो भी बचाव एजेंसियों के जवान आ रहे हैं, वे उन्हीं पर अपना गुस्सा जता रहे हैं। कई स्थानों पर एकत्र लोग राहत न मिलने के कारण प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीनगर राजभवन के बाहर और एयरपोर्ट में दस हजार से अधिक लोग एकत्र हैं। राजभवन के बाहर प्रदर्शन करने वालों पर लाठीचार्ज भी हुआ। इसी बीच बाढ़ से उपजे हालात में बीमार होने वालों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए कश्मीर के अस्पतालों में आपातकाल स्थिति की घोषणा कर दी गई है। गंभीर रूप से बीमार कुछ लोगों को निकालने के लिए एयर एंबुलेंस भी बुलाई गई है। राहत अभियान में जुटे आर्मी एविएशन के कर्नल गुरदीप सिंह ने बताया कि बटमालू इलाके से गुजरते समय उनके हेलीकॉप्टर पर पत्थर फैंके गए। ऐसे में हेलीकॉप्टरों के साथ उन इलाकों में न जाने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम उन इलाकों में जा रहे जहां लोग शांत हैं।

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