मोदी सरकार का दो टूक जवाब, दिल्ली को नहीं मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के कोई आसार नहीं हैं। केंद्र सरकार ने दो टूक कहा है कि वह ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। यह भी साफ हो गया कि सूबे कि आम आदमी पार्टी की सरकार भले ही इस मुद्दे को अपनी
नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के कोई आसार नहीं हैं। केंद्र सरकार ने दो टूक कहा है कि वह ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। यह भी साफ हो गया कि सूबे कि आम आदमी पार्टी की सरकार भले ही इस मुद्दे को अपनी प्राथमिकता बताती है, उसने इस सिलसिले में कोई औपचारिक प्रस्ताव केंद्र को भेजा ही नहीं है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने मंगलवार को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘केंद्र सरकार के पास दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं है। जाहिर है इस बारे में कोई विचार नहीं किया जा रहा।’ दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले में खूब सियासी रोटियां सेकी जा रही हैं। आम आदमी पार्टी भी लगातार यह मांग कर रही है। कांग्रेस व भाजपा ने भी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग का समर्थन किया है। लेकिन किसी भी पार्टी की सरकार ने दिल्ली को यह अधिकार दिलाने की निर्णायक पहल नहीं की है।
केंद्र के जवाब से यह भी साफ हो गया कि इस मुद्दे पर टकराव सियासी ज्यादा है। केंद्र शासित दिल्ली में पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण आदि एजेंसियों पर राज्य सरकार का अधिकार नहीं है। किसी सरकार के पास पुलिस और जमीन के मामले ही नहीं होंगे तो उसके लिए सरकार चलाना मुश्किल हो जाता है।
दिल्ली में 1998 में पहली बार शीला दीक्षित की अगुआई में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो बाकायदा विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा गया था और मांग की गई थी कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। इतना ही नहीं, खुद शीला दीक्षित ने अपने विधायकों के साथ राजघाट से जंतर-मंतर तक आयोजित मार्च में हिस्सा लिया था। तब केंद्र में भाजपा की सरकार थी और दोनों सरकारों के बीच तनातनी भी रही। लेकिन दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला। बाद में केंद्र व दिल्ली दोनों जगह कांग्रेस की सरकारों का गठन हो जाने के बाद शीला सरकार ने दिल्ली को पूर्ण राज्य के बदले विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग शुरू कर दी थी।
जानकारों का कहना है कि दिल्ली पूरे देश की राजधानी है। यहां न केवल देश के तमाम वीवीआइपी रहते हैं, बल्कि दुनिया भर के तमाम राजनयिक व अन्य महत्वपूर्ण हस्तियां भी यहां रहती हैं। लिहाजा, सुरक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए ही केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस को स्थानीय सरकार के हवाले करने को तैयार नहीं है।