नेपाल बॉर्डर से घुसपैठ की आशंका, हरकत में खुफिया तंत्र
मधेशी आंदोलन के बाद पैदा हुई रिश्तों में दरार का फायदा उठाते हुए आतंकी भारत-नेपाल बॉर्डर के रास्ते भारत में प्रवेश करने की ताक में हैं।
बस्ती। मधेशी आंदोलन के बाद पैदा हुई रिश्तों में दरार का फायदा उठाते हुए आतंकी भारत-नेपाल बॉर्डर के रास्ते भारत में प्रवेश करने की ताक में हैं। दिसंबर के पहले हफ्ते में बढ़नी सीमा से दो संदिग्धों के पकड़े जाने के बाद जारी हुए अलर्ट से खलबली मची हुई है। खुफिया विभाग ने इस पैतरे को भांपकर पुलिस और एसएसबी को सतर्क कर दिया है। भारत का प्रशासनिक तंत्र नेपाल पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को इस नई चाल के बारे में लगातार अपडेट कर रहा है। सीमा पर निगहबानी तेज हो गई है। एसएसबी के साथ पुलिस अधिकारी समन्यव बनाकर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संयुक्त पेट्रो¨लग कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी के बीच आवागमन की गुंजाइश खत्म होने के बाद आतंकी साढ़े सत्रह सौ किलोमीटर नेपाल की खुली सीमा से घुसपैठ कर सकते हैं। खुफिया एजेंसियों ने इस बारे में आगाह किया है। इससे पहले भी अक्टूबर में सरहदी गांवों में आंदोलन के बहाने आतंकी घुसपैठ की आशंका जताई जा चुकी है। नवंबर में संदिग्ध पाकिस्तानी जावेद कमाल और दो दिसंबर को दाऊद के दो गुर्गों की नेपाल सीमा से गिरफ्तारी के बाद शक यकीन में बदलने लगा।
सुरक्षा एजेंसियों की चिंता इसलिए भी वाजिब है, क्योंकि भारत-नेपाल की 1751 किमी खुली सीमा से पिछले ढाई दशकों में दर्जनों खूंखार आतंकी पकड़े जा चुके हैं। 1991 में पंजाब के खूंखार अपराधी सुखविंदर सिंह के बॉर्डर पर दबोचे जाने के बाद नेपाल से लगी सीमा सुर्खियों में आई। इसके बाद सिद्धार्थनगर जिले की बढ़नी सीमा पर आतंकी अजमेर ¨सह व एक अन्य पकड़े गए। यहां तक कि मुंबई बम कांड का जिम्मेदार याकूब मेमन भी नेपाल बॉर्डर से ही पकड़ा गया था।
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