नगरोटा सैन्य शिविर नहीं बल्कि आतंकियों का मकसद ट्रेनों को था उड़ाना
अपने नापाक मकसद को अंजाम देने के लिए आतंकी पहली बार पुलिस की वर्दी में आए थे।
जागरण संवाददाता, जम्मू । नगरोटा सैन्य शिविर में आतंकी हमला आतंकियों का मुख्य निशाना नहीं था बल्कि लश्कर के इन आतंकियों को ट्रेनों में ब्लास्ट कर अधिक से अधिक लोगों की जान लेनी थी। इस लक्ष्य को अंजाम देने के लिए आतंकी पहली बार पुलिस की वर्दी में आए थे। लेकिन ट्रेनों में सवार होकर आग लगा कर धमाके और फिर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर लोगों को मौत की नींद सुलाना कठिन था। इसे देखते हुए आतंकियों को यह संदेश मिला कि वह किसी भी तरीके से नगरोटा स्थित सैन्य मुख्यालय या फिर उसके आसपास किसी शिविर में घुसकर मौत का तांडव करें। उन्हें यह भी हिदायत थी कि यह ¨हदुस्तान के सर्जिकल स्ट्राइक का बदला है और इसी कड़ी के तहत आतंकियों का जो दूसरा दल सांबा सेक्टर के रामगढ़ इलाके से भारतीय सीमा पर स्थित छन्नी फतवाल में घुसा, वे आतंकी भी पुलिस की वर्दी में थे।
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आतंकियों से ट्राईनाइट्रेट ग्लिसरीन नामकतरल विस्फोटक पदार्थ भी मिला, जो इस बात की तस्दीक करता है कि आतंकियों को चलती ट्रेनों में धमाके कर सर्जिकल स्ट्राइक का बदला लेना था। यह दीगर बात है कि तीन आतंकी जो 29 नवंबर को छन्नी फतवाल से घुसपैठ कर आए थे, उन्हें स्थानीय सूत्रधार नहीं मिल पाया, जिस कारण वे बीएसएफ के चंगुल में फंस गए और मुठभेड़ के दौरान तीनों मार गिराए गए। एनआइए के मुख्य जांच अधिकारी एसएसपी राकेश शर्मा को पकड़े गए ओवर ग्राउंड वर्कर प्रेम कुमार और उसके साथियों से पूछताछ के दौरान ये अहम जानकारियां मिली हैं। प्रेम कुमार ने बताया है कि उन्हें केवल आतंकियों को रास्ता दिखाने का ही संदेश मिला था। बाकी और कोरियर जिन्हें वह नहीं जानता, ने आतंकियों को नगरोटा तक पहुंचाने में मदद की क्योंकि पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका यहां सूत्रधारों को हमले की योजना का पूरा ब्योरा नहीं देते। कई बार फंसने पर पूरी योजना खटाई में पड़ जाती है। एनआइए को कुछ ऐसे सुराग भी मिले हैं, जिसमें यह बात सामने आ रही है कि इन आतंकियों के तार दक्षिण कश्मीर में सक्रिय आतंकियों से भी जुडे़ थे। हमले से पहले उनके कुछ साथी जम्मू में भी मौजूद थे, जिन्होंने उन्हें पूरा सहयोग किया।
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