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ओवैसी के लिए खड़ी हो सकती है नई चुनौती, मुस्लिम महिला कारोबारी ने लांच की नई पार्टी

मुस्लिम समेत अन्य महिलाओं के समर्थन का दावा करने वाली पार्टी कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनावों में मैदान में होगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 16 Nov 2017 10:22 PM (IST)Updated: Thu, 16 Nov 2017 10:22 PM (IST)
ओवैसी के लिए खड़ी हो सकती है नई चुनौती, मुस्लिम महिला कारोबारी ने लांच की नई पार्टी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसके क्रियान्वयन के लिए खुद मुस्लिम महिलाएं सक्रिय हो गई है। इसके लिए हैदराबाद की बड़ी कारोबारी महिला नौहेरा शेख ने बाकायदा नई पार्टी का ऐलान किया है। ऑल इंडिया महिला इंपावरमेंट पार्टी (आइईएमईपी) के 11 उद्देश्यों में तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना भी शामिल है। पार्टी ने केंद्र सरकार से भी मांग की कि फैसले के क्रियान्वयन के लिए निगरानी व्यवस्था तैनात करे। मुस्लिम समेत अन्य महिलाओं के समर्थन का दावा करने वाली पार्टी कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनावों में मैदान में होगी।

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मुस्लिम महिला उद्यमी नौहेरा शेख के चुनावी मैदान में उतरने से असदउद्दीन ओवैसी की चुनौतियां बढ़ गई हैं। मुस्लिम वोटों के सहारे ओवैसी आल इंडिया मजलिसे इत्तहादुल मुसलअमिन (एआइएमईएम) के देशव्यापी विस्तार की कोशिश में जुटे है। उनकी पार्टी बिहार, उत्तरप्रदेश और असम तक कई राज्यों में चुनाव भी लड़ चुकी है। लेकिन नौहेरा शेख के आने के बाद अपने घर को बचाना उनके आसान नहीं होगा। नौहेरा शेख ने छुपाया भी नहीं है। पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ओवैसी केवल मुसलमानों की राजनीति करते हैं और उनकी पार्टी में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। वहीं नई पार्टी समाज के सभी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बनाई गई है और यह धर्म, संप्रदाय और जाति के आधार पर राजनीति नहीं करेगी।

चुनाव आयोग में एआइएमईपी को पंजीकृत करा चुकी नौहेरा शेख ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी और 2019 के लोकसभा चुनाव में पूरे देश में लड़ने का इरादा है। जाहिर है इससे कांग्रेस, एआइएमईएम ही नहीं मुस्लिम वोट बैंक के सहारे राजनीति करने वाली दूसरी पार्टियों को भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। नौहेरा शेख मुस्लिम महिलाओं के साथ मुस्लिम वोट बैंक में बड़ा सेंध लगा सकती हैं। नई पार्टी भले ही महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बनी हो, लेकिन इसमें 20 फीसदी स्थान पुरुषों का भी मिलेगा। इसका उद्देश्य महिला सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य को केंद्रीत कर महिलाओं के विकास के लिए काम करना है।


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