महिलाओं के लिए खुलेंगे हाजी अली के दरवाजे
सुप्रीम कोर्ट में आज हाजी अली दरगाह के ट्रस्ट ने महिलाओं को वहां प्रवेश देने की इजाजत देने की बात मान ली, जिसके बाद कोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हाजी अली दरगाह में अब महिलाओं को भी मजार तक जाकर जियारत करने की इजाजत होगी। उनके लिए भी दरगाह के दरवाजे खुल जाएंगे। दरगाह ट्रस्ट पुरुषों के समान ही महिलाओं को भी सैयद पीर हाजी अली शाह बुखारी की मजार तक जाने की इजाजत देने को राजी हो गया है। सोमवार को दरगाह की ओर से सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी गई।
दरगाह के वकील गोपाल सुब्रह्माण्यम ने कोर्ट को बताया कि इस्लाम में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है। ट्रस्ट ने इस सिद्धांत को लागू करते हुए महिलाओं को भी दरगाह में प्रवेश देने का प्रस्ताव पारित किया है। हाजी अली दरगाह ट्रस्ट का इस बात के लिए राजी होना बराबरी के हक की लड़ाई लड़ रहीं महिलाओं की बड़ी जीत है। मुंबई हाई कोर्ट ने महिलाओं को संविधान से मिले बराबरी के हक की बात करते हुए महिलाओं को भी पुरुषों के समान दरगाह में प्रवेश देने का आदेश दिया था।
दरगाह ट्रस्ट ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शुरुआती सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि लिंग के आधार पर महिलाओं से भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने दरगाह ट्रस्ट को प्रगतिशील नजरिया अपनाने की सलाह दी थी। इस पर दरगाह ने इस मुद्दे पर योजना पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय मांग लिया था। इसके बाद सोमवार को मामले की सुनवाई हुई। इसमें दरगाह ने महिलाओं को प्रवेश देने की योजना और प्रस्ताव कोर्ट में पेश किया। हालांकि, ट्रस्ट ने कहा है कि दरगाह मे महिलाओं को अलग द्वार से प्रवेश मिलेगा, ताकि उन्हें सुविधा हो और व्यवस्था नियंत्रित रखी जा सके। गोपाल सुब्रह्माण्यम ने ढांचागत इंतजाम करने के लिए कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा।
इस पर मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे महिलाओं के प्रवेश का इंतजाम करने के लिए दो की जगह चार सप्ताह का समय ले सकते हैं। लेकिन उन्हें हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक पुरुषों की तरह ही महिलाओं को भी दरगाह में प्रवेश देना होगा। सुब्रह्माण्यम द्वारा इस पर सहमति जताने के बाद कोर्ट ने मुंबई हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली दरगाह की अपील निपटा दी। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि अगर किसी पक्ष को कोई शिकायत होती है तो वह फिर आ सकता है।
अदालत में नक्शा भी पेश किया
-दरगाह बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे के साथ नक्शा भी पेश किया गया।
-इसमें बताया गया है कि किस तरह से महिलाओं को दरगाह में प्रवेश दिया जाएगा।
-दरगाह के हलफनामे में इस्लाम में महिलाओं को दिए गए बराबरी के हक की बात कही गई है।
-उसी सिद्धांत को लागू करते हुए महिलाओं को प्रवेश देने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
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