'कांग्रेस दर्शन' में लेख के बाद मुंबई कांग्रेस में चरम पर अंर्तकलह
कांग्रेस दर्शन में लेख के बाद मुंबई कांग्रेस में हलचल है। संजय निरुपम विरोधी खेमा जहां उनके खिलाफ लामबंद होने की कोशिश कर रहा है। हालांकि निरुपम ने पहले ही साफ कर दिया था कि लेख के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है
मुंबई (ओमप्रकाश तिवारी)। ‘कांग्रेस दर्शन’ पत्रिका में नेहरू और इंदिरा विरोधी लेखों का प्रकाशन होने के बाद मुंबई कांग्रेस में अध्यक्ष संजय निरुपम विरोधी गुट उनके खिलाफ लामबंद हो गया है। इस तरह मुंबई कांग्रेस दो गुटों में बंटी नजर आ रही है।
निरुपम एवं उनका विरोधी गुट इन दिनों नववर्ष पार्टियों एवं लिट्टी-चोखा भोज के जरिए अपनी-अपनी शक्ति का आकलन में करने में जुटा है। बीते रविवार को ऐसा ही एक नववर्ष भोज एआईसीसी के महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य गुरुदास कामत ने दिया। दूसरी ओर उसी दिन एवं उसी समय पर मुंबई अध्यक्ष संजय निरुपम ने आयोजन स्थल से कुछ ही किलोमीटर दूर लिट्टी-चोखा भोज का आयोजन किया। अपेक्षाकृत भव्य रहे कामत के आयोजन में निरुपम विरोधी सभी कांग्रेसियों के साथ-साथ दो पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चाह्वाण एवं अशोक चाह्वाण सहित पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे भी पहुंचे।
पूर्व संपादक का दावा, अनधिकृत है कांग्रेस दर्शन पत्रिका का प्रकाशन
कामत के कट्टर विरोधी माने जाते रहे पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ नसीम खान की भी इस पार्टी में उपस्थिति से यह साफ हो गया कि संजय निरुपम के विरोधी कांग्रेसी कामत के नेतृत्व में नई छत तलाश करने लगे हैं। बता दें कि हाल ही में ‘कांग्रेस दर्शन’ पत्रिका में नेहरू एवं इंदिरा विरोधी लेख प्रकाशित होने के बाद निरुपम पर सबसे तगड़ा हमला मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने ही बोला था। शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए संजय निरुपम को पिछले विधानसभा चुनाव के बाद मुंबई कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। निरुपम अपने आक्रामक अंदाज के लिए जाने जाते हैं। गुरुदास कामत के मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद यह पद संभालने वाले कृपाशंकर सिंह ने अपनी कार्य समिति में उतनी आक्रामकता से बदलाव नहीं किए थे, जितनी आक्रामकता से निरुपम ने किए।
कांग्रेस दर्शन के लेख ने बिगाड़ी कहानी
निरुपम ने अपनी टीम में कोषाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद कामत समर्थक अमरजीत मन्हास से छीनकर युवा नेता असलम शेख को सौंप दिया। दूसरे गुटों के कई नेताओं को भी अपनी टीम में शामिल कर अपना दायरा भी बढ़ाने की कोशिश की है। उनकी तैयारी 2017 में होनेवाले मुंबई महानगरपालिका चुनाव को लेकर चल रही थी। वह विधानसभा चुनाव के बाद से ही शिवसेना-भाजपा में चल रही खटास का लाभ उठाकर मुंबई मनपा पर कांग्रेसी झंडा फहराने की फिराक में थे। लेकिन ‘कांग्रेस दर्शन’ में छपे इंदिरा-नेहरू विरोधी लेखों ने पार्टी में उनके विरोधियों को उनके विरुद्ध हाईकमान के कान भरने का मौका उपलब्ध करा दिया है।