स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में भारत की रैंकिंग में आई भारी गिरावट
2007 तक यह स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ करता था। 2004 में भारत इस सूची में 37वें पायदान पर था, जो अब तक की सबसे बड़ी रैकिंग है।
ज्यूरिख/नई दिल्ली, पीटीआई। लगता है काले धन के खिलाफ मोदी सरकार की मुहिम रंग लाई है। स्विस बैंकों में अपने देश के नागरिकों द्वारा जमा धन के मामले भारत की रैंकिंग में भारी गिरावट देखने को मिली है। स्विस नेशनल बैंक की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारत इस मामले में फिसलकर 88वें पायदान पर आ चुका है, जबकि ब्रिटेन अब भी शीर्ष पर कायम है। वहीं स्विट्जरलैंड के बैंकों में जमा कुल रकम में भारतीयों की हिस्सेदारी भी महज 0.04 फीसदी हो गई है।
कभी 37वें पायदान पर था, अब आ गया 88वें पर
2015 में भारत इस सूची में 75वें और उससे पहले 2014 में 61वें पायदान पर था। हालांकि 2007 तक यह स्विस बैंकों में जमा धन के मामले में शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ करता था। 2004 में भारत इस सूची में 37वें पायदान पर था, जो अब तक की सबसे बड़ी रैकिंग है। मगर इसमें अब तेजी से गिरावट आई है। गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद सरकार ने विदेश में जमा काले धन को देश में वापस लाने की मुहिम तेज की थी। सरकार को अगले कुछ सालों में स्विस बैंक की तरफ से रियल टाइम में डेटा मिलने लगेगा।
हालांकि 2016 में स्विस बैंक में विदेशी नागरिकों की तरफ से जमा रकम में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली है। 2016 में स्विस बैंकों में जमा रकम 1.41 लाख करोड़ फ्रैंक से बढ़कर 1.42 फ्रैंक हो गई। ब्रिटिश नागरिकों की इस फंड में हिस्सेदारी 25 फीसदी से भी अधिक है। वहीं दूसरे नंबर पर अमेरिका आता है, जिसकी कुल जमा रकम में 17 फीसदी हिस्सेदारी है।
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