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शरद पवार के गढ़ में मोदी लहर के थपेड़े

राजनीति में मजबूत से मजबूत गढ़ भी कब भरभरा कर ढह जाए, कहा नहीं जा सकता। इन दिनों ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है शरद पवार के क्षेत्र बारामती में। जहां मोदी लहर शरद पवार के मजबूत किले में दरारें पैदा करने लगी है।

By Prajesh ShankarEdited By: Published: Tue, 07 Oct 2014 01:53 PM (IST)Updated: Tue, 07 Oct 2014 02:00 PM (IST)
शरद पवार के गढ़ में मोदी लहर के थपेड़े

बारामती/पुणे [ओमप्रकाश तिवारी]। राजनीति में मजबूत से मजबूत गढ़ भी कब भरभरा कर ढह जाए, कहा नहीं जा सकता। इन दिनों ऐसा ही कुछ नजर आ रहा है शरद पवार के क्षेत्र बारामती में। जहां मोदी लहर शरद पवार के मजबूत किले में दरारें पैदा करने लगी है।

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जिस बारामती विधानसभा क्षेत्र से शरद पवार ने 1967 में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी, वहां से उनके भतीजे एवं राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार पांचवीं बार चुनाव मैदान में हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए अब तक राकांपा की सहयोगी रही कांग्रेस सहित शिवसेना, भाजपा और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना [मनसे] जैसे दल उनके सामने हैं। बारामती विधानसभा क्षेत्र उसी बारामती लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसका प्रतिनिधित्व लोकसभा में शरद पवार 1984 से करते आ रहे हैं।

पवार ने इस क्षेत्र का जैसा विकास किया है, निसंदेह वह देश के दूसरे नेताओं के लिए प्रेरणा का विषय हो सकता है। इसके बावजूद फिजा बदल रही है। 2009 के विधानसभा चुनाव में भी बारामती लोकसभा के तहत आनेवाली छह में से सिर्फ एक सीट बारामती ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जीत सकी थी। हाल के लोकसभा चुनाव में भी पवार की पुत्री सुप्रिया सुले जीत तो गई, लेकिन उनकी जीत का अंतर 2009 के 3,36,831 से घटकर 69,719 पर आ गया।

बारामती शहर से महज 10 किलोमीटर दूर पवार के पुश्तैनी गांव मालेगांव की पंचायत के सभागृह नेता भाऊ घोड़के अब भाजपा का झंडा लगाकर घूम रहे हैं। इस बात से कोई इन्कार नहीं करता कि पवार परिवार ने विकास नहीं किया। लेकिन इतने विकास के बावजूद लोग अब ठहराव महसूस कर रहे हैं। हाल के लोकसभा चुनाव में धनगर नेता राष्ट्रीय समाज पक्ष के अध्यक्ष महादेव जानकर को सुप्रिया सुले के विरुद्ध मिले 4,51,843 वोटों से इस वर्ग के हौसले बुलंद हैं।

इस क्षेत्र सहित पूरे पश्चिम महाराष्ट्र में यह वर्ग निर्णायक संख्या में है। भाजपा और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के साथ मिलकर यह वर्ग नए समीकरण को जन्म दे रहा है। महाराष्ट्र के चर्चित सिंचाई घोटाले के कारण अजीत पवार सवारों के घेरे में हैं। इस मुद्दे को लेकर साफ छवि वाले मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण भी उनपर निशाना साध चुके हैं। माना जा रहा है कि नौ अक्टूबर को बारामती में रैली करने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महाराष्ट्र से लेकर राष्ट्र तक के घोटालों को लेकर पवार परिवार को ही निशाना बनाएंगे। इसलिए मोदी की रैली के बाद अजीत पवार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

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