.. तो क्या मोदी के लिए फिर लकी साबित होगा कानपुर
आखिर 12 साल बाद नरेंद्र मोदी उस शहर की धरती पर फिर कदम रखने जा रहे हैं, जहां आने के तीन माह बाद ही उन्होंने गुजरात की कुर्सी संभाली थी। शायद यही वजह है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद नमो ने यूपी में पहली रैली के लिए इसी भाग्यशाली शहर को चुना है। भाजपाई भी 1
शिवा अवस्थी, कानपुर। आखिर 12 साल बाद नरेंद्र मोदी उस शहर की धरती पर फिर कदम रखने जा रहे हैं, जहां आने के तीन माह बाद ही उन्होंने गुजरात की कुर्सी संभाली थी। शायद यही वजह है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद नमो ने यूपी में पहली रैली के लिए इसी भाग्यशाली शहर को चुना है। भाजपाई भी 19 अक्टूबर की रैली को लेकर तब सीएम और अब पीएम का जुमला उछालने लगे हैं।
गौरतलब है कि एक से तीन जुलाई 2001 के बीच तत्कालीन सर संघ चालक केएस सुदर्शन की मौजूदगी में शहर के जय नारायण विद्या मंदिर इंटर कालेज शारदानगर में कार्यशाला हुई थी। इसमें नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी को भी बुलाया गया था। उन्हें यहां पर गुजरात, हरियाणा समेत कई प्रांतों में संघ के विभाग प्रचारक के रूप में किए गए कार्यो का अनुभव बांटना था।
एक जुलाई को पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से आए मोदी को विहिप व हिंदू जागरण मंच से जुड़े प्रमोद अग्रहरि ने स्टेशन से कार्यशाला स्थल पर छोड़ा था। दो दिन रुके मोदी तीन जुलाई को प्रमोद के घर आए। यहां से वापसी के बाद सात अक्टूबर 2001 को जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उनके बुलावे पर पहुंचे प्रमोद भी इस यादगार पल के गवाह बने।
टाकीज में देखी थी फिल्म
प्रमोद बताते हैं कि तीन जुलाई को सुबह मोदी उनके घर पर थे तभी बालीवुड अभिनेता सनी देओल ने फोन कर अपनी फिल्म 'गदर एक प्रेमकथा' देखने की गुजारिश की। मोदी ने बारादेवी चौराहे के पास स्थित लाल पैलेस में तीन से छह के शो में पूरी फिल्म देखी थी।
बाजरे की रोटी व दाल पसंद
मोदी के गांव भटनागर निवासी व गुजरात के भाजपा नेता शैलेश भाई चंदू भाई पटेल बताते हैं, उन्हें बाजरा का रोटला, मूंग व अरहर की दाल के साथ ही कढ़ी भी पसंद है। साबूदाना व खीर भी चाव से खाते हैं।
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