अर्थव्यवस्था में रफ्तार के लिए लाएंगे ब्रॉडबैंड संस्कृति
यह किसी से छिपा नहीं है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार ने जब सत्ता संभाली तो देश में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी की स्थिति कैसी थी। 2जी घोटाले की तपिश बरकरार थी। अस्पष्ट व उलझी हुई नीतियों की वजह से संचार कंपनियां हताश थीं, तो आम जनता
यह किसी से छिपा नहीं है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार ने जब सत्ता संभाली तो देश में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी की स्थिति कैसी थी। 2जी घोटाले की तपिश बरकरार थी। अस्पष्ट व उलझी हुई नीतियों की वजह से संचार कंपनियां हताश थीं, तो आम जनता सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर परेशान थी। जिस आइटी सेक्टर ने भारत का मान विदेश में बढ़ाया था, उसको लेकर भी सवाल उठने लगे थे। अब एक साल बाद संचार क्षेत्र में फिर ऊर्जा लौटती दिख रही है। संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख नितिन प्रधान और विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन से बातचीत में उन कदमों का विस्तार से ब्योरा दिया, जो उन्होंने इस माहौल को बदलने के लिए उठाए। पेश है इस बातचीत के अंश :-
राजग सरकार के पहले वर्ष के दौरान संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के कामकाज को आप कैसे देखते हैैं?
सत्ता संभालने के साथ ही हमने यह साफ कर दिया था कि संचार व सूचना प्रौद्योगिकी इस सरकार के एजेंडे में ऊपर रहेगी। पिछले एक वर्ष के दौरान इस एजेंडे को लागू करने की दिशा में लगातार आगे बढ़े हैैं। हमने क्या हासिल किया, इसे जानने से पहले यह जानना जरूरी होगा कि हमें विरासत में क्या मिला था। हमें विवादों में पूरी तरह उलझा हुआ एक मंत्रालय मिला, जिसमें चारों तरफ हताशा का माहौल था। बेहद खराब हालात वाले संचार क्षेत्र के सरकारी उपक्रम मिले। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 2004 में जब राजग सरकार गई थी, तब बीएसएनएल का मुनाफा 10,000 करोड़ रुपये का था। जब 2014 में हमने सत्ता दोबारा संभाली तो यह 8,000 करोड़ रुपये के भारी भरकम घाटे में था। एमटीएनएल भी तब मुनाफा कमा रहा था, लेकिन अब यह 16 हजार करोड़ रुपये कर्ज से दबा हुआ है। संचार कंपनियां डरी हुई थीं। आइटी में जो हमारी साख बनी थी, उस पर भी सवाल उठ रहे थे। ऐसे में सरकार के लिए उद्योग के साथ ही आम जनता का भरोसा बहाल करना सबसे चुनौतीपूर्ण था और मैैं विश्वास से कह सकता हूं कि हम इसे वापस लाने में सफल रहे हैैं।
कौन-कौन से अहम कदम आपने उठाए हैैं?
अब सरकारी क्षेत्र की संचार कंपनी बीएसएनएल और एमटीएनएल को ही लीजिए। इन दोनों कंपनियों को पिछली सरकार ने पूरी तरह से बर्बाद कर रखा था। लेकिन अब हमने बीएसएनएल को नए सिरे से मजबूत संचार कंपनी के तौर पर स्थापित करने के लिए 25 हजार नए टावर लगाने की अनुमति दी है। एमटीएनएल भी अपने कारोबार में नई ऊर्जा डाल रहा है। हमने दिल्ली व मुंबई में एमटीएनएल को 1600 नए टावर लगाने की मंजूरी दी है। नेक्स्ट जेनरेशन नेटवर्क लगाने पर बीएसएनएल ध्यान देने जा रहा है। हम नक्सल प्रभावित इलाकों और पूर्वोत्तर के इलाकों को मोबाइल नेटवर्क से तेजी से जोड़ने का काम शुरू कर चुके हैैं। स्पेक्ट्रम की नीलामी एकदम पारदर्शी तरीके से करके हमने उद्योग को भरोसा दिलाया है कि अब सब कुछ सही तरीके से होगा।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया का नारा दिया, लेकिन नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क परियोजना की प्रगति काफी धीमी है?
एनओएफएन को बहुत जल्द ही आप बिल्कुल नए कलेवर में देखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं डिजिटल इंडिया के भारी समर्थक रहे हैैं। पुराने एनओएफएन को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए हम राज्यों के साथ इस महीने के अंत में एक बैठक करने जा रहे हैैं। हम राज्यों को साथ लेकर चलना चाहते हैैं। ऐसा पीएम का भी निर्देश है। उसके बाद इस पर तेजी से काम होगा। हम अगले तीन वर्षों में देश की सभी ढाई लाख पंचायतों को ब्रॉडबैैंड सेवा से जोड़ने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैैं। मेरे सुझाव पर आंध्र प्रदेश में ब्रॉडबैैंड कनेक्शन देने की ढांचागत व्यवस्था होने के बाद ही घर के नक्शे को मंजूरी देने की नीति लागू हो चुकी है। मैैं चाहता हूं कि अन्य राज्य भी इसे लागू करें, ताकि पंचायत के बाद हर घर को ब्रॉडबैैंड सर्विस से जोड़ने का काम चालू हो सके। यह एक युगांतकारी कदम होगा। इसके लिए पैसे की कोई कमी आने नहीं दी जाएगी।
इसके क्या फायदे होंगे?
हम देश में एक ब्रॉडबैैंड संस्कृति लाना चाहते हैैं। क्योंकि इसका विस्तार जितना तेजी से होगा देश की अर्थव्यवस्था में भी उसी रफ्तार से बढ़ोतरी होगी। यह हर जनता के जीवन से जुड़ सकता है। मसलन, अगर किसान है तो उसके लिए खेती की सूचना हासिल करना, उत्पाद मंडी में भेजना, बेहतर तकनीकी हासिल करना आसान हो जाएगा। यह ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-स्वास्थ्य दूर दराज के इलाकों और आम जनता तक आसानी से पहुंच सकेगा। ग्र्रामीण जनता का इससे जीवन स्तर सुधरेगा। हम निजी क्षेत्र को जोड़ेंगे और काफी बड़ा कारोबार मिलेगा। आइटी में नौकरियां मिलेंगी।
तो यह देश की बड़ी आबादी को डिजिटल इंडिया से जोड़ेगा?
हां, डिजिटल डिवाइड यानी कुछ लोगों के पास सूचना प्रौद्योगिकी की हर सुविधा होना और कुछ लोगों के पास कुछ भी नहीं होना बेहद खतरनाक है। हम इस अंतर को खत्म करने के लिए मोबाइल कनेक्शन को भी आधार बनाएंगे। देश में अभी 98 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैैं। इनमें 30 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन हैैं, हम चाहते हैैं कि दो वर्षों में 50 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट कनेक्शन हो। आप सोच नहीं सकते कि यह कुम्हार, बुनकर, बढ़ई, कारीगर जैसे पेशेवरों के लिए कितनी संभावनाएं ला सकता है।
डाक विभाग को भी आपने पूरी तरह से बदलने की बात कही है, इसके लिए क्या तैयारी है?
डाक विभाग को नया रंग रूप देने, इसकी क्षमता को सुधारने की हमारी मंशा पर काम शुरू हो चुका है। हम सबसे पहले तो पूरी दुनिया में ई-कॉमर्स का जो विस्फोट हुआ है, उससे डाक विभाग को पूरी तरह से जोड़ना चाहते हैैं। ई-कॉमर्स को गांव गांव तक पहुंचाने में भारतीय डाक एक अहम भूमिका निभा सकता है। हम हर डाकिये को हैैंड हेल्ड मशीन देने जा रहे हैैं, ताकि वह ई-कॉमर्स का काम तेजी से कर सके। डाक विभाग को हम एक पेमेंट बैैंक में तब्दील करने जा रहे हैैं। इसका आवेदन रिजर्व बैैंक के पास है। यह डाक विभाग के लिए कई नए अवसर पैदा करेगा। बीमा क्षेत्र में एक वितरक के तौर पर भी भारतीय डाक की भूमिका तलाशी जा रही है। डाक विभाग वित्तीय सेवाओं को तेजी से जनता तक पहुंचा सकता है।
आइटी क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने के लिए क्या हो रहा है?
इसके लिए हम दो तरह की नीति अपना रहे हैैं। सबसे पहले तो मैैं यह बताना चाहूंगा कि हम कॉल सेंटर की अवधारणा को गांवों तक ले जाना चाहते हैैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 480 कॉल सेंटर खोलने की योजना बनाई जा चुकी है। हर कॉल सेंटर में एक साथ 100 लोग काम कर सकेंगे। यानी एक सेंटर तीन शिफ्टों में 300 लोगों को रोजगार देगा। उत्तर प्रदेश में 80 तो बिहार में 44 कॉल सेंटर खोले जाएंगे। इस तरह से हर राज्य में यह सेंटर खुलेगा। सेंटर निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनियां खोलेंगी। मैैंने कई बड़ी कंपनियों से बात की है और वे सभी तैयार हैैं। मैैं राज्यों को भी इससे जोड़ने जा रहा हूं ताकि कॉल सेंटर खोलने के लिए जो आवश्यक ढांचा है, वह आसानी से उपलब्ध हो। ई-कॉमर्स की कंपनियां इस सोच को लेकर काफी उत्साहित हैैं। केंद्र सरकार इन्हें सब्सिडी भी देगी। यह कदम कॉल सेंटर संस्कृति को मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, गुड़गांव से उठा कर भागलपुर, हिसार, हाजीपुर, सहारनपुर जैसे छोटे शहरों की तरफ ले जाएगा। दूसरा, हम इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मैन्यूफैक्चरिंग हब देश में बनाने की नीति ला चुके हैैं। आपको बता दूं कि भारत ने अगर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का उत्पादन घरेलू स्तर पर शुरू नहीं किया तो विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा इनके आयात पर खर्च करना पड़ेगा। राजग सरकार मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत 25 इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश में है। कंपनियां काफी उत्साहित भी हैैं। हमारे पास 20 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव आ चुके हैैं। इनमें से 9000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है। इसमें ऑटो से लेकर मेडिकल उपकरण बनाने जैसी कंपनियां शामिल हैैं। इनसे बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होगा।
भविष्य की और क्या तैयारियां हैैं?
जो काम हमने पहले वर्ष में शुरू किया है, उन्हें सही तरीके से अंजाम तक पहुंचाना है। लेकिन भविष्य में कई सारे अहम फैसले करने हैैं। इसमें एक अहम है मशीन से मशीन के बीच होने वाले संवाद को लेकर राष्ट्रीय नीति बनाना। भविष्य में तकनीकी को लेकर होने वाले बदलाव के मुताबिक हमें तैयार होना है। मसलन मोबाइल फोन से घर के सारे उपकरण जुड़ जाएंगे। मोबाइल फोन से किसान अपनी सिंचाई व्यवस्था को संचालित कर सकेगा। हम जल्द ही इस तरह की नीति का मसौदा जारी करेंगे।
क्या आगे भी स्पेक्ट्रम नीलामी होगी?
हमने हाल ही में स्पेक्ट्रम नीलाम किए हैैं। यह न सिर्फ सफल रहा बल्कि इसने सरकार की नीतियों को लेकर उद्योग जगत के भरोसे को भी कायम किया है। पिछले सात-आठ वर्षों से रक्षा मंत्रालय के साथ चल रहे विवाद का हमने कुछ ही महीनों में समाधान कर दिया। एक साथ 800, 1500, 1800, 2100 मेगाहटर््ज का स्पेक्ट्रम बेचा। कंपनियों ने मजबूरी में स्पेक्ट्रम नहीं खरीदा है। सरकार ने यह कहा था कि ज्यादा कीमत देने के बावजूद कंपनियों पर असर नहीं होगा और कॉल की दर नहीं बढ़ेगी। यह सही साबित हो रहा है। वोडाफोन के नतीजे बताते हैैं कि कंपनी का मुनाफा बढ़ रहा है। आगे भी जैसे-जैसे स्पेक्ट्रम खाली होगा हम उसे नीलामी के जरिये बेचते जाएंगे।
स्पेक्ट्रम मिलने के बावजूद कॉल ड्रॉप की समस्या बरकरार है?
इस समस्या को कंपनियों को दूर करना है और उन्हें हर हाल में इस पर काम करना होगा। इस विषय पर सरकार गंभीर है। सभी संचार कंपनियों के साथ बैठक की गई है। उन्हें स्पष्ट शब्दों में बता दिया गया है कि कॉल ड्रॉप को रोकना उनकी जिम्मेदारी है। सरकार ग्राहकों को होने वाली परेशानी को लेकर गंभीर है।