घाटी में प्रोपेगेंडा वार में भारतीय एजेंसियों पर भारी आइएसआइ
पत्थरबाजों को एकत्रित करने के लिए अकेले व्हाट्सएप पर 300 ग्रुप बना दिए गए थे और हर ग्रुप में 200-250 सदस्य थे। ये ग्रुप पाकिस्तान से संचालित होते थे।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में प्रोपगेंडा वार (अफवाह की लड़ाई) में भारतीय एजेंसियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ का काट नहीं ढूंढ पा रही है। अंतिम हथियार के रूप में अब घाटी में 20 से अधिक सोशल साइट्स को प्रतिबंधित कर दिया गया, जिनके सहारे युवाओं को गुमराह कर सुरक्षा बलों के खिलाफ उकसाया जाता था।
सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि घाटी में आइएसआइ की प्रोपेगेंडा मशीनरी की जड़ें बहुत गहरी हैं और यह केवल सोशल साइट्स तक सीमित नहीं है। पूरी घाटी में सैंकड़ों की संख्या में छोट-छोटे अखबार निकलते हैं और उनमें अधिकांश आइएसआइ के प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाते हैं। भारत के पक्ष में लिखने और बोलने वालों को जानबूझकर निशाना बनाया जाता है, ताकि वे धीरे-धीरे हाशिये पर चले जाएं। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार घाटी के समाचार पत्रों को मैनेज करने की कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है।
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इसके अलावा पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथियों का मदरसों और मसजिदों पर धीरे-धीरे कब्जा हो चुका है। जहां युवाओं को भारत के खिलाफ लगातार उकसाया जाता है। शुक्रवार की नमाज के बाद विरोध प्रदर्शन घाटी में सामान्य बात हो गई है। घाटी में आजादी की मांग से शुरू हुए आंदोलन को पाकिस्तान ने धीरे-धीरे मदरसों और मसजिदों के सहारे इस्लामी राज की स्थापना तक पहुंचा दिया है। सोशल साइट्स के सहारे युवाओं को बरगलाने और भारतीय सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी के लिए उकसाने का तरीका सबसे नया है और इसे आतंकी बुरहान बानी की मुठभेड़ में मौत के बाद शुरू किया गया था।
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सिर्फ पत्थरबाजों को एकत्रित करने के लिए अकेले व्हाट्सएप पर 300 ग्रुप बना दिए गए थे और हर ग्रुप में 200-250 सदस्य थे। सभी व्हाट्सएप ग्रुप को पाकिस्तान के भीतर से आइएसआइ के अधिकारी संचालित करते थे। इन व्हाट्सएप ग्रुपों को प्रतिबंधित करने की कोशिश भी गई, लेकिन आइएसआइ रातोंरात नए-नए व्हाट्सएप ग्रुप बना देता था। हारकर सरकार को अगले एक महीने के लिए सोशल साइट्स को ठप्प करने का निर्णय लेना पड़ा। यह कितना कारगर हो पाएगा यह देखने की बात है।