अब फौज को दिल्ली के निर्देश के इंतजार की जरूरत नहीं: पर्रिकर
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि पड़ोसी चाहे जितना खराब हो, उसे बदला नहीं जा सकता। पाकिस्तान की समस्या कुछ अलग है। वहां सत्ता के कई केंद्र हैं। एक केंद्र भारत को लेकर कुछ मुलायम हो जाए तो दूसरा नहीं होता।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। केंद्रीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी में बल्कि इस समय की पूरी भारतीय राजनीति में ईमानदारी, सहजता व देशप्रेम के सशक्त उदाहरण के रूप में जाने जाते हैं। गोवा के मापुसा में जन्मे मनोहर दो बार वहां के मुख्यमंत्री रहे।
मुंबई आईआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के माध्यम से सामाजिक गतिविधियों में सक्रियता बढ़ाई। संघ प्रचारक भी रहे। आईआईटी से स्नातक होने के बाद किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने वाले देश के पहले शख्स रहे। गोवा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने जितनी ख्याति अर्जित की, उससे ज्यादा प्रशंसा वो देश के रक्षा मंत्री के दायित्व को संभालते हुए बटोर रहे हैं।
गोवा का मुख्यमंत्री रहते हुए साइकिल पर चलने के लिए चर्चित रहे मनोहर पर्रीकर इन दिनों अपनी सादगी, स्पष्टवादिता और पाकिस्तान के लिए सख्त बयानबाजी के लिए खासी चर्चाओं में रहते हैं। भारत के रक्षा मंत्री पद की बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाले 60 वर्षीय मनोहर पार्टी के सार्वजनिक कार्यक्रमों में छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं के साथ घुल-मिल जाने और फोटो व सेल्फी के लिए कभी मना न करने के लिए भी मशहूर हैं।
हाल ही में वह कार्यक्रमों में हिस्सा लेने गाजियाबाद आए और यहां के लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ गए। किसी राजनीतिज्ञ की तरह घुमा-फिरा कर बात न करने के आदी मनोहर पर्रीकर हर बात का सहजता से स्पष्ट जवाब देते हैं। दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ राज कौशिक ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश।
सवाल- केंद्र सरकार के दो साल के कार्यकाल के लेखा-जोखा को विकास पर्व बताते हुए जनता के सामने रखने का मकसद क्या है? क्या जनता नहीं जानती कि दो साल में क्या-क्या हुआ है और क्या नहीं हुआ?
जवाब- निश्चित रूप से जनता जानती है, मगर विपक्ष के कुछ लोग जानकर भी अनजान बने हुए हैं। यह पहली ऐसी सरकार है जो दो साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच में है। सरकार को कितने नंबर देने हैं, हम चाहते हैं कि जनता स्वयं तय करे।
सवाल- मोदी सरकार की पांच बड़ी बातें पूछी जाएं तो क्या गिनाएंगे?
जवाब- पिछड़े वर्ग के आर्थिक उत्थान के प्रयासों के तहत प्रधानमंत्री जन-धन योजना की कामयाबी। 21.87 करोड़ लोगों ने पहली बार बैंक खाते खुलवाए और 37 हजार करोड़ से अधिक की राशि जमा कराई। इस राशि का सदुपयोग 59 सरकारी योजनाओं में करते हुए 31 करोड़ लोगों के खातों में सीधे सब्सिडी पहुंचाई गई। दूसरे, पीएम की अपील पर डेढ़ करोड़ लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ी और ये कनेक्शन गरीब लोगों को दिए गए।गैस की कालाबाजारी व व्यावसायिक उपयोग पर अंकुश लगाते हुए तीन करोड़ फर्जी घरेलू कनेक्शन कम कर 20 हजार करोड़ प्रतिवर्ष बचाए जा रहे हैं। तीसरे, किसान को पहली बार फसल के नुकसान का पूरा भुगतान सुनिश्चित कराया गया है। चौथे, दो साल में 7108 गांवों तक बिजली पहुंचाई गई है। पांचवां, पूरे विश्व में भारत और भारतवासियों का सम्मान मोदी सरकार के दो साल के दौरान बढ़ा है।
सवाल- विश्व में सम्मान बढ़ा है मगर विपक्ष के लोग कह रहे हैं कि क्या पाकिस्तान विश्व का हिस्सा नहीं है? वहां सरकार की नीतियां सफल क्यों नहीं हो रहीं?
जवाब- पड़ोसी चाहे जितना खराब हो, उसे बदला नहीं जा सकता। पाकिस्तान की समस्या कुछ अलग है। वहां सत्ता के कई केंद्र हैं। एक केंद्र भारत को लेकर कुछ मुलायम हो जाए तो दूसरा नहीं होता। हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि संबंध अच्छे हो जाएं। दुनिया में ये संदेश देने में भी हम कामयाब रहे हैं कि भारत अपनी तरफ से कोई कोशिश नहीं छोड़ रहा।
सवाल- पर, पाकिस्तान की तरफ से तो भड़काऊ बयान आते रहते हैं? वो डरता हुआ नजर क्यों नहीं आता?
जवाब -ये भड़काऊ बयानबाजी ही उसके डर का सबूत है। एक सीमा से ज्यादा उस पर ध्यान देने की जरूरत ही नहीं है। पाकिस्तान भी जानता है कि उसकी ताकत और हमारी ताकत में कितना अंतर है।
सवाल- मगर माकूल जवाब न देने पर देश में यही माना जाता है कि शायद हम कमजोर हैं। विपक्ष भी कहने लगा है कि पीएम मोदी का 56 इंच का सीना पाकिस्तान के मामले में 5.6 इंच का रह गया है?
जवाब -विपक्ष को भी राजनीति करनी है। हजारों करोड़ों रुपए के घोटालों के लिए जवाबदेह लोगों को जब दो साल में कहीं भी उंगली रखने की जगह नहीं मिलती तो वो प्रधानमंत्री के सीने की चौड़ाई नापने लगते हैं। मैं भारत की जनता को बताना चाहता हूं कि भारतीय जवानों को सीमा की रक्षा के दौरान दुश्मन की गोली का जवाब देने के लिए अब पहले की तरह दिल्ली की तरफ देखने की जरूरत नहीं है। सीमा पर स्पष्ट निर्देश हैं कि गोली का जवाब सीधे दुश्मन की छाती पर गोली मारकर दिया जाए। किसी भी निर्देश का इंतजार न किया जाए। इसी का परिणाम है कि अब तक एक भारतीय जवान के मुकाबले दुश्मन के 1.25 जवान या आतंकियों के मरने का जो औसत था वो मोदी सरकार के दो साल के दौरान 4.3 हो गया है। यनी एक भारतीय जवान के मुकाबले चार से अधिक दुश्मनों का सफाया। इसके अलावा अमेरिका का यह कहना भी भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत है कि पाकिस्तान अपनी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए न होने दे।
सवाल- तमाम तरह के उपाय करने पर भी आतंकवाद पर अंकुश लगता दिखाई नहीं दे रहा। इसके लिए सरका क्या कर रही है?
जवाब -सरकार हर संभव उपाय कर रही है। मगर मेरा कहना है कि इस काम में जनता की भागेदारी बेहद जरूरी है। एक खास वर्ग द्वारा आतंकवादियों को मदद देने या उन्हें नजरअंदाज करने पर बहुत कुछ निर्भर करता है। जनता को अपने स्वभाव में सतर्कता लानी होगी। इंटेलीजेंस इनपुट ज्यादा से ज्यादा दिए जाने चाहिए। संदिग्ध व्यक्तियों को नजरअंदाज न करके उनके बारे में सूचना देने की आदत डालनी होगी।
सवाल- आप कई घंटे यहां रहे, कैसा लगा गाजियाबाद और यहां के लोग?
जवाब- गाजियाबाद बहुत अच्छा शहर है। हां, जाम की समस्या जरूर कुछ ज्यादा है। इस पर ध्यान देने और काम करने की जरूरत है। यहां के लोग भी अच्छे लगे। कई स्थानों पर फोटो खिंचवाने के लिए इतनी धक्का-मुक्की मचती है कि बस। यहां लोग शिष्टता के साथ फोटो खिंचवाते हैं, सेल्फी लेते हैं।