मन लग गया तो आत्मकथा जरूर लिखेंगे मनमोहन
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह का कहना है कि उनके पिता अपनी इच्छा के खुद मालिक हैं और आत्मकथा लिखने या न लिखने के बारे में फैसला उनको ही करना है। 'स्टिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण' नाम से पूर्व प्रधानमंत्री की जीवनी लिखने वाली दमन ने रविवार देर शाम विमोचन समारोह में कहा कि यदि उनके पि
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह का कहना है कि उनके पिता अपनी इच्छा के खुद मालिक हैं और आत्मकथा लिखने या न लिखने के बारे में फैसला उनको ही करना है।
'स्टिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण' नाम से पूर्व प्रधानमंत्री की जीवनी लिखने वाली दमन ने रविवार देर शाम विमोचन समारोह में कहा कि यदि उनके पिता को आत्मकथा लिखना मन लायक काम लगा, तो वे ऐसा जरूर करेंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री की इस जीवनी में 1930 के दशक से 2004 तक की घटनाओं का उल्लेख किया गया है। इस दौरान मनमोहन दंपति का ज्यादातर वक्त अमृतसर, पटियाला, होशियारपुर, चंडीगढ़, ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज, न्यूयार्क, जेनेवा, मुंबई और नई दिल्ली जैसे शहरों में बीता। इससे पहले दो उपन्यास लिख चुकीं दमन ने बताया कि तीन लेखकों-विक्रम सेठ, सिल्विया नाडर और एमजे अकबर की रचनाओं से उन्हें अपने पिता की जीवनी लिखने की प्रेरणा मिली।
विक्रम सेठ की पुस्तक 'टू लाइव्स' उनके चाचा शांति बिहारी सेठ और जर्मन चाची हेनरले कैरो की प्रेम कहानी पर आधारित है। दमन ने कहा कि इस किताब ने मुझपर बहुत असर डाला। दूसरी किताब सिल्विया नाडर द्वारा लिखी महान गणितज्ञ जॉन नैश की जीवनी है। इसके अलावा नेहरू पर लिखी अपनी किताब में एमजे अकबर ने आकर्षक तरीके से एक सार्वजनिक व्यक्ति के व्यक्तिगत पहलुओं को प्रस्तुत किया है। पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी ने कहा कि यह किताब 'दो विचारों' की कहानी है। इसमें उनके विचारों, मान्यताओं, मूल्यों और प्रवृत्तियों को चित्रित किया गया है। इसके साथ ही यह एक ऐसे देश की भी कहानी है, जो विभाजन के साथ-साथ आजादी हासिल करता है। इसमें यह भी बताया गया है कि किस तरह साहस और उम्मीद के साथ ही भ्रम और निराशा के बीच देश आगे बढ़ रहा है।
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