...ताकि ममता को न मिलना पड़े मोदी से
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार से इस कदर क्षुब्ध हैं कि वह किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं करना चाहतीं। हाल में दिल्ली में हुई प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में गैर मौजूद रहने वालीं ममता ने एक बार फिर इस बात की ओर इशारा
जागरण संवाददाता, कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार से इस कदर क्षुब्ध हैं कि वह किसी भी सूरत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं करना चाहतीं। हाल में दिल्ली में हुई प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में गैर मौजूद रहने वालीं ममता ने एक बार फिर इस बात की ओर इशारा किया है।
ममता कृषि क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन के लिए पश्चिम बंगाल को लगातार तीसरी बार मिले 'कृषि कर्मण पुरस्कार' के वितरण समारोह में शरीक नहीं होंगी। कारण, उस समारोह में प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे, जिनके हाथों से ही पुरस्कार दिया जाना है। ममता तो क्या, उस समारोह में राज्य के कृषि मंत्री पूर्णेंदु बोस के शरीक होने की संभावना भी कम है।
गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने खुद ममता को पत्र लिखकर पुरस्कार वितरण समारोह के लिए आमंत्रित किया था। समारोह में प्रधानमंत्री के मौजूद रहने की जानकारी मिलने के बाद ममता ने दिल्ली नहीं जाने का निर्णय किया। मुख्यमंत्री के इस तरह प्रधानमंत्री से दूरी बनाकर चलने की राजनीतिक हलकों में काफी आलोचना हो रही है।
विरोधी दलों का कहना है कि मुख्यमंत्री किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि राज्य का प्रतिनिधित्व करता है, ऐसे में दलगत विरोध को दरकिनार कर ममता को राज्य के हित में केंद्र के साथ अच्छे संबंध बनाकर चलना चाहिए। लेकिन ममता इसकी अनदेखी कर रही हैं। मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की बैठक में भी उन्होंने खुद शरीक न होकर राज्य के वित्तमंत्री अमित मित्रा को भेजा था।
गौरतलब है कि बर्द्धमान विस्फोट की जांच को लेकर ममता की केंद्र से रिश्तों में बढ़ी कड़वाहट सारधा चिटफंड घोटाले को लेकर काफी बढ़ गई है।